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सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों की डीजीपी नियुक्ति के आदेश में संशोधन की मांग ठुकराई

कोर्ट ने राज्यों की मांग ठुकराते हुए कहा कि गत वर्ष 3 जुलाई का आदेश जनहित में है और उसमें किसी तरह का बदलाव करने की जरूरत नहीं है।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 09:54 PM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 09:54 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों की डीजीपी नियुक्ति के आदेश में संशोधन की मांग ठुकराई
सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों की डीजीपी नियुक्ति के आदेश में संशोधन की मांग ठुकराई

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी नियुक्ति के आदेश में संशोधन करने की पांच राज्यों पंजाब, बिहार, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और केरल राज्य की मांग खारिज कर दी है। कोर्ट ने राज्यों की मांग ठुकराते हुए कहा कि गत वर्ष 3 जुलाई का आदेश जनहित में है और उसमें किसी तरह का बदलाव करने की जरूरत नहीं है।

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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस रिफार्म मामले में सुनवाई के बाद दिये। कोर्ट के गत मंगलवार यानी 15 जनवरी के आदेश का अनुपालन करते हुए यूपीएससी के सचिव राकेश कुमार गुप्ता कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से राज्यों के डीडीपी नियुक्ति करने की प्रक्रिया और स्थिति कोर्ट को बताई। कोर्ट ने उनकी बात सुनने और केन्द्र तथा विभिन्न राज्यों के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद अपने 3 जुलाई 2018 के आदेश में बदलाव करने से इन्कार कर दिया। पांच राज्यों की ओर से अर्जी दाखिल कर कोर्ट से राज्य द्वारा पारित कानून के मुताबिक आंतरिक समिति के जरिए डीडीपी की नियुक्ति और उसका कार्यकाल तय करने की अनुमति मांगी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने गत 3 जुलाई को दिये गए आदेश में साफ कहा था कि कोई भी राज्य अंतरिम डायरेक्टर जनरल पुलिस (डीजीपी) नहीं नियुक्त करेगा। यह भी कहा था कि राज्य डीडीपी का पद खाली होने से कम से कम तीन महीने पहले प्रस्तावित नाम यूपीएससी को भेज देंगे। यूपीएससी पैनल तैयार करके राज्य को भेजेगा और राज्य तत्काल उसमें से एक व्यक्ति को डीडीपी नियुक्ति करेगा। साथ ही डीजीपी का कार्यकाल दो वर्ष का होगा इस पर उसके सेवानिवृत होने का फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन डीडीपी का चयन करते समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि उस व्यक्ति के पास पर्याप्त कार्यकाल बचा हो। नियुक्ति में मेरिट और वरिष्ठता को पर्याप्त अहमियत दी जाएगी। कोर्ट ने उस आदेश में यह भी कहा था कि इस आदेश का विरोध करने वाला राज्यो का कोई भी कानून या नियम फिलहाल टला रहेगा यानी लागू नहीं होगा।

बतातें चलें कि कई राज्यों ने पुलिस को राज्य का विषय बताते हुए अपने नियम कानून पारित किये हैं और उन्हीं के मुताबिक आंतरिक समिति के जरिए वे डीजीपी की नियुक्ति व कार्यकाल तय करना चाहते हैं। इसी मांग को लेकर बिहार, पंजाब, हरियाणा, केरल और पश्चिम बंगाल ने कोर्ट से गुहार लगाई थी और कोर्ट से गत जुलाई के आदेश में बदलाव की मांग की थी। जबकि मूल याचिकाकर्ता प्रकाश सिंह के वकील प्रशांत भूषण और न्यायमित्र राजू रामचंद्रन ने आदेश में बदलाव का विरोध किया। मंगलवार को कोर्ट ने यूपीएससी के सचिव को पेश होकर डीजीपी की नियुक्ति की स्थिति बताने को कहा था।

यूपीएससी सचिव राकेश गुप्ता बुधवार को कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने बताया कि कोर्ट के आदेश के बाद यूपीएससी ने डीजीपी की नियुक्ति की कमेटी गठित की है जिसमें जिसमें डीजीपी और एडीशनल डीडीपी रैंक के अधिकारी होते हैं। कमेटी में केन्द्र और राज्य दोनों के अलावा यूपीएससी के अधिकारी शामिल होते हैं। 12 राज्यों ने प्रस्ताव भेजे हैं जिसकी कमेटी बनी। कोर्ट के 3 जुलाई के आदेश के बाद दो और राज्यों की कमेटियां बनाई गईं और अभी दो और राज्यों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। कोर्ट ने सचिव के बयान को आदेश में दर्ज करते कहा कि फिलहाल 3 जुलाई के आदेश में बदलाव की कोई जरूरत नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने राज्यों की अर्जियां खारिज कर दीं।


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