सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के पूर्व मंत्री अंगद यादव को जमानत देने से किया इन्कार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे यादव की जमानत रद करने के हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। यूपी में बसपा के कार्यकाल में मंत्री रहे अंगद यादव को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। कोर्ट ने यादव को जमानत देने से इन्कार करते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे यादव की जमानत रद करने के हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट से यादव की उम्रकैद की सजा के खिलाफ अपील का छह महीने में निपटारा करने को कहा है।
- उत्तर प्रदेश में बसपा कार्यकाल में मंत्री थे अंगद यादव
- हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा हो चुकी है
- सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट से छह महीने में अपील निपटाने को कहा
अंगद यादव को हत्या के जुर्म में निचली अदालत से उम्रकैद की सजा हो चुकी है फिलहाल उनकी अपील हाईकोर्ट में लंबित है। जमानत के दौरान यादव पर हत्या का एक और मामला दर्ज हुआ जिसके बाद हाईकोर्ट ने उनकी पहले मामले में मिली हुई जमानत भी खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति एमएम खानविल्कर व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने बुधवार को यादव की वकील विभा दत्त मखीजा की सारी दलीलें ठुकरा दीं। मखीजा का कहना था कि यादव पिछले 17 साल से जमानत पर थे और कोर्ट ने इतने साल बाद जमानत रद की है। इसके अलावा जिस दूसरे मामले को जमानत रद करने का आधार बनाया गया है उसमें अगर एफआइआर को ठीक से देखा जाए तो इन पर हत्या का केस नही बनता। मुकदमें राजनीति से प्रेरित हैं, लेकिन पीठ दलीलों से प्रभावित नहीं हुआ और कोर्ट ने कहा कि वे हाईकोर्ट के आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं। हालांकि कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट दूसरे मामले में लंबित यादव की जमानत याचिका पर मेरिट के आधार पर विचार करेगा। पीठ ने हाईकोर्ट से ये भी कहा है कि वह यादव की हाईकोर्ट में लंबित अपील का छह महीने में निपटारा करे।
क्या है मामला
लखनऊ की निचली अदालत ने वर्ष 2000 में हत्या के एक मामले में अंगद यादव को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। यादव ने सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की और हाईकोर्ट से यादव को जमानत भी मिल गई थी। 2007 में यादव ने विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिए कोर्ट से दोषसिद्धि पर भी रोक लगाने की मांग की ताकि अयोग्यता दूर हो और वे चुनाव लड़ सकें। हाईकोर्ट ने उस समय उनकी दोष सिद्धि पर भी रोक लगा दी थी जिसके बाद यादव ने चुनाव लड़ा और तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री बने। इसके बाद 2015 में आजमगढ़ में एक वकील की हत्या के मामले में यादव फिर आरोपी हुए। गत 17 अप्रैल को हाईकोर्ट ने इस दूसरे मामले को देखते हुए यादव की जमानत और दोषसिद्धि पर लगाई गई रोक का आदेश रद कर दिया। जिसके खिलाफ यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।