आइएस सदस्य को जमानत के फैसले में दखल से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार, निचली अदालत ने कड़ी शर्तों के साथ दी थी जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की बांबे हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया जिसमें उसने इस्लामिक स्टेट (आइएस) के कथित सदस्य अरीब एजाज मजीद की जमानत को बरकरार रखा था।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की बांबे हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया जिसमें उसने इस्लामिक स्टेट (आइएस) के कथित सदस्य अरीब एजाज मजीद की जमानत को बरकरार रखा था। जस्टिस एस. अब्दुल नजीर और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने कहा, 'हम बांबे हाई कोर्ट के आदेश में दखल नहीं देना चाहते।'
एनआइए की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई से इन्कार करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपित पहले ही छह साल से अधिक समय तक जेल में रह चुका है और निचली अदालत ने उसकी जमानत पर बेहद कड़ी शर्तें रखी हैं। बांबे हाई कोर्ट ने 17 मार्च, 2020 के अपने आदेश में मजीद को जमानत पर रिहा करने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था।
इसके बाद इस मामले की जांच एजेंसी एनआइए ने विशेष अनुमति याचिका के जरिये अपील दायर की थी और बांबे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। एनआइए की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दलील दी कि मजीद एक आतंकी था जो सीरिया गया था और पुलिस मुख्यालयों में कथित रूप से धमाके करने के लिए भारत लौटा था।
उन्होंने मजीद की जमानत खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि उसका सभ्य आचरण निचली अदालत द्वारा जमानत देने का आधार नहीं हो सकता। राजू की सभी दलीलें सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने बांबे हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से इन्कार कर दिया। अभियोजन के अनुसार मजीद को मुंबई एटीएस ने 29 नवंबर, 2014 को गिरफ्तार किया था और उसे बाद में एनआइए के हवाले कर दिया था।