वकीलों के लिए ब्याज मुक्त कर्ज की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के लिए ब्याज मुक्त कर्ज की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है... सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ऑर्गुइंग काउंसेल एसोसिएशन से वकीलों के लिए ब्याज मुक्त कर्ज मांगने वाली याचिका वापस लेने को कहा...
नई दिल्ली, एजेंसियां। सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ऑर्गुइंग काउंसेल एसोसिएशन से वकीलों के लिए ब्याज मुक्त कर्ज मांगने वाली याचिका वापस लेने को कह दिया है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने संगठन को इसी मामले पर पहले से लंबित याचिका में आवेदन देने इजाजत दे दी। जस्टिस एएस बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, आपके एसोसिशन का पंजीयन नहीं हुआ है। आप इसी मुद्दे पर पहले से लंबित याचिका में शामिल हो सकते हैं। उस समय हम आपका पक्ष सुनेंगे।
हम पहले से लंबित मामले में कई याचिकाएं नहीं चाहते। अदालत ने एसोसिएशन को हलफनामा दाखिल कर अपना विस्तृत विवरण देने के लिए भी कहा। इससे पहले अदालत ने पूछा कि क्या इस एसोसिएशन का पंजीयन हो चुका है। पीठ ने इसकी विश्वसनीयता भी जाननी चाही। वकीलों के संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से सरकार को एक योजना चलाने के लिए निर्देश देने की मांग की थी, जिसके तहत वकीलों को 20 लाख रुपये तक ब्याज मुक्त कर्ज दिया जा सके।
उल्लेखनीय है कि इस मामले से इतर लोन मोरेटोरियम मामले में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के जवाब पर असंतोष जता चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र की ओर से दायर हलफनामे में याचिकार्ताओं द्वारा उठाए गए कई मुद्दों का समाधान नहीं है। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में सरकार और आरबीआइ से कहा था कि केवी कामथ कमेटी की सिफारिशों को रिकॉर्ड में पेश करें।
बता दें कि कामथ कमेटी ने कोविड-19 के मद्देनजर तमाम सेक्टर में आई आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए लोन रीस्ट्रक्चरिंग को लेकर कई सिफारिशें की हैं। इन सिफारिशों के बाद से आरबीआइ और केंद्र सरकार ने लोन मोरेटोरियम से लेकर कई नोटिफिकेशन और सर्कुलर जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फैसलों और सर्कुलर की डिटेल को रिकॉर्ड में पेश किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सरकार कह चुकी है कि एमएसएमई और पर्सनल लोन वालों को मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज से छूट दी जाएगी। यह छूट दो करोड़ तक के लोन पर मिलेगी। अदालत ने केंद्र और आरबीआइ से कहा था कि एक हफ्ते में कमेटी की सिफारिशों, इस सबंध में लिए गए फैसलों, लोन मोरेटोरियम को लेकर जारी नोटिफिकेशन से अवगत कराएं।