मेडिकल कालेज में अधिक हास्टल फीस के खिलाफ याचिका पर विचार से सुप्रीम कोर्ट का इन्कार
याचिका में मांग थी कि कोर्ट सरकार को मेडिकल कालेज के पिछले तीन सालों के हास्टल एकाउंट का आडिट कराने का आदेश दे।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज में अत्यधिक हास्टल फीस वसूले जाने के खिलाफ दाखिल पीजी कोर्स कर रहे डाक्टरों की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता डाक्टरों से कहा कि उन्हें इस बारे में हाइकोर्ट में याचिका दाखिल करनी चाहिए। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को हाइकोर्ट जाने की छूट देते हुए याचिका वापस लेने की इजाजत दी और याचिका को वापस लिए जाने के कारण खारिज घोषित कर दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने अधिक हास्टल फीस के खिलाफ दलीलें सुनने के बाद जारी किये आदेश
न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और अनिरुद्ध बोस की पीठ ने गत शुक्रवार को याचिकाकर्ता डाक्टरों के वकील मोहन कुमार की दलीलें सुनने के बाद ये आदेश जारी किये। मुजफ्फरनगर मेडिकल कालेज में पीजी कोर्स कर रहे हास्टल में रहने वाले दर्जन भर से ज्यादा डाक्टरों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि मेडिकल कालेज 2019-2022 के पीजी मेडिकल कोर्स बैच के छात्रों से बहुत ही अधिक हास्टल फीस और सिक्योरिटी फीस वसूल रहा है। इतनी फीस न तो उनसे पहले के बैच से और न ही उनके बाद वाले जूनियर बैच से वसूली जा रही है।
मेडिकल कालेज हास्टल फीस में मनमानी
तीनों शैक्षणिक बैचों की फीस का ब्योरा देते हुए कहा गया था कि 2018-2021 बैच से पांच लाख हास्टल फीस और पांच लाख रुपये सिक्योरिटी डिपाजिट लिया गया। जबकि इसके बाद याचिकाकर्ताओं के बैच से 14.50 लाख रुपये हास्टल फीस और 10 लाख रुपये सिक्योरिटी डिपाजिट लिया गया। वहीं अगले बैच 2020-23 से तीन लाख रुपये हास्टल फीस और पांच लाख रुपये सिक्योरिटी डिपाजिट लिया गया। याचिका में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कानून के जरिए मेडिकल की ट्यूशन फीस तो तय कर दी है लेकिन कालेज हास्टल फीस आदि में मनमानी हो रही है।
यूपी सरकार ने मेडिकल की ट्यूशन फीस तय कर दी
सरकार ने 2271400 रुपये ट्यूशन फीस तय कर रखी है इसके अलावा कालेज उन लोगों से 14,50000 रुपये हास्टल फीस और 10 लाख रुपये सिक्योरिटी ले रहे हैं और यह सब मिलकर 47,21400 रुपये हो जाता है।
कोर्ट सरकार को मेडिकल कालेज के हास्टल एकाउंट का आडिट कराने का आदेश दे
याचिका में मांग थी कि कोर्ट सरकार को मेडिकल कालेज के पिछले तीन सालों के हास्टल एकाउंट का आडिट कराने का आदेश दे और अगर इसमें में पाया जाए कि अधिक पैसा लिया गया है तो अतिरिक्त पैसा वापस कराया जाए। साथ ही कालेज की ओर से फीस जमा कराने का जारी किया गया नोटिस रद किया जाए और हास्टल आदि पर आने वाले वास्तविक खर्च के मुताबिक ही फीस ले।