कोर्ट ने दिखाई नरमी, डीजल वाहनों पर पर्यावरण शुल्क लगने के संकेत
प्रदूषण को रोकने के लिए डीजल वाहनों पर की गई सख्ताई पर कोर्ट ने अब कुछ नरमी दिखाई है। कोर्ट ने इन वाहनों पर अब पर्यावरण शुल्क लगाने का भी रास्ता खोल दिया हैै।
नई दिल्ली (जागरण ब्यूरो)। देश भर में डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मची अफरा-तफरी के बीच सुप्रीम कोर्ट ने थोड़ी नरमी दिखाने के संकेत दिए हैं। लेकिन कोर्ट का आगे का रुख इस तथ्य से तय होगा कि दिल्ली सरकार व प्रदूषण रोकने वाले अन्य प्राधिकरण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने का ठोस रोडमैप तैयार कर पाते हैं या नहीं। इसके साथ ही कोर्ट ने हर तरह के डीजल वाहनों पर अलग से पर्यावरण शुल्क लगाने का भी रास्ता खोल दिया है। देश की कार कंपनियों ने कहा है कि अगर पर्यावरण शुल्क की दर ज्यादा हुई तो भारत की निवेश के अनुकूल माहौल वाली छवि को भारी नुकसान पहुंचेगा।
सुप्रीम कोर्ट में आज एनसीआर में ऑल इंडिया परमिट वाले डीजल वाहनों पर प्रतिबंध से जुड़े मामले की सुनवाई हुई। इस प्रतिबंध से परेशान बीपीओ व सॉफ्टवेयर कंपनियों के संगठन नासकॉम की तरह से यह दलील दी गई कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में काम करने वाले ढाई लाख लोगों के रोजगार के साथ ही देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ रहा है। इससे महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं उठी हैं क्योंकि कंपनियों के लिए महिला कर्मचारियों को घर से ऑफिस लाने व पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इस काम में 14 हजार डीजल टैक्सियां लगी है। नासकॉम ने चरणबद्ध तरीके से इन्हें हटाने की बात कही है। इस पर कोर्ट ने यहां थोड़ी नरमी दिखाते हए कहा कि ''हम मानते हैं कि डीजल वाहनों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। हम सही भी हो सकते हैं और गलत भी। हम इस फैसले पर पुनर्विचार करने को तैयार हैं।'' इसे स्पष्ट तौर पर कोई रियायत नहीं माना जाएगा लेकिन स्थिति मंगलवार को सुनवाई के दौरान साफ हो सकती है।
केंद्र सरकार की तरफ से कोर्ट से एनसीआर में डीजल वाहनों पर लगे प्रतिबंध को हटाने की अपील की गई। सोलीसीटर जनरल रंजीत कुमार ने कहा कि सिर्फ डीजल वाहनों से दिल्ली में प्रदूषण नहीं फैल रहा। साथ ही यह प्रतिबंध सरकार की मेक इन इंडिया कार्यक्रम को भी नुकसान पहुंच सकता है। जो कंपनियां इस कार्यक्रम के तहत निवेश कर रही हैं और तमाम नियमों का पालन कर रही हैं कोर्ट उन पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता। मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अगुवाई वाली बेंच इससे खास प्रभावित नहीं दिखी। उल्टा केंद्र को वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर रोक लगाने में कड़ा रवैया नहीं अपनाने के लिए फटकार भी लगा दी। इसी क्रम में कोर्ट ने टिप्पणी की कि, हर तरह के (बड़े व छोटे) डीजल वाहनों पर सांकेतिक पर्यावरण शुल्क लगाया जाना चाहिए। यह डीजल वाहन के आकार व इंजन की क्षमता के आधार पर तय हो सकता है। कोर्ट ने कहा कि डीजल वाहन खरीदने वालों को यह पता होना चाहिए कि वह प्रदूषण फैलाने वाला वाहन खरीद रहे हैं।
ऑटोमोबाइल कंपनियों के संगठन सियाम ने कहा है कि हर तरह के डीजल वाहन पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की संभावना पर कड़ी प्रतिक्रिया जारी करते हुए कहा है कि इससे देश में निवेश के माहौल पर काफी बुरा असर पड़ेगा। भारत में कोई निवेश नहीं करेगा। अमेरिका, कोरिया, जापान की कार कंपनियों ने यहां निवेश किया है और यह फैसला इन देशों से आने वाले निवेश पर असर डालेगा। आज कोर्ट में भी सियाम ने डीजल प्रतिबंध के बदले दिल्ली से ताप बिजली घर को 300 किलोमीटर दूर कहीं स्थानांतरित करने का सुझाव दिया।