जेपी इंफ्राटेक मामला: कोर्ट नियुक्त अधिकारी को तत्काल रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
Jaypee Infratech Case शीर्ष अदालत ने अनुज जैन को आइबीसी के तहत नियुक्त किया था और उन्हें कंपनी को पटरी पर लाने के लिए समाधान प्रक्रिया तक जेपी इंफ्राटेक के कामकाज को सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने कर्ज में डूबे जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआइएल) के मामलों के प्रबंधन के लिए अदालत द्वारा नियुक्त अंतरिम समाधान पेशेवर (आइआरपी) की उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा एक आपराधिक मामले में गिरफ्तारी पर मंगलवार को हैरानी जताई। शीर्ष अदालत ने उन्हें तत्काल रिहा करने का आदेश देते हुए संबंधित पुलिसकर्मी को कारण बताओ नोटिस जारी किया। शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले से निपटने वाला पुलिस अधिकारी इनसाल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आइबीसी) के तहत अदालत द्वारा नियुक्त आइआरपी को हासिल विशेषाधिकार के प्रविधानों से परिचित नहीं है।
शीर्ष अदालत ने अनुज जैन को आइबीसी के तहत नियुक्त किया था और उन्हें कंपनी को पटरी पर लाने के लिए समाधान प्रक्रिया तक जेपी इंफ्राटेक के कामकाज को सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया था। जैन को ग्रेटर नोएडा पुलिस ने सोमवार को मुंबई से एक प्राथमिकी के सिलसिले में गिरफ्तार किया था जिसमें आरोप लगाया गया था कि 165 किमी लंबे यमुना एक्सप्रेसवे के संचालक जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआइएल) और उसके आइआरपी अनुज जैन ने सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए 2018 में किए गए सुरक्षा आडिट में आइआइटी द्वारा सुझाए गए सुरक्षा उपायों को नहीं अपनाया।
अदालत ने ग्रेटर नोएडा पुलिस और संबंधित मजिस्ट्रेट को आदेश दिया कि वह ईमेल के माध्यम से उसका आदेश प्राप्त प्राप्त होने पर बिना किसी शर्त जैन को रिहा करे। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार जनरल (न्यायिक) के कार्यालय से कहा कि वह न्यायिक मजिस्ट्रेट के कार्यालय को तत्काल अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए फोन करे।
पीठ ने कहा, 'उत्तर प्रदेश पुलिस ने ग्रेटर नोएडा में पुलिस थाना बीटा-दो में दर्ज प्राथमिकी नंबर 0098/2021 से उत्पन्न मामले में जिस तरह से कार्य किया, उसे देखकर हम हैरान हैं। इसमें अनुज जैन की गिरफ्तारी शामिल है जो अदालत द्वारा पारित आदेश के अनुसार काम कर रहे थे और जिन्हें उक्त कंपनी के कामकाज का जिम्मा सौंपा गया था।'
पीठ ने कहा, 'इस बीच, हम आवेदक अनुज जैन को तत्काल रिहा करने का निर्देश देते हैं जो वर्तमान में पुलिस थाना, बीटा-दो, ग्रेटर नोएडा, उत्तर प्रदेश की हिरासत में हैं और जिन्हें मंगलवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, गौतम बुद्ध नगर की अदालत के समक्ष पेश किया गया।'
पीठ ने राज्य सरकार की इस प्रतिक्रिया पर आश्चर्य व्यक्त किया कि जांच अधिकारी बिजेंद्र सिंह का विचार था कि आइआरपी अभियोजन से बचने के लिए किसी भी समय देश छोड़ सकते हैं और उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उन्हें मुंबई से गिरफ्तार करना आवश्यक समझा।'
पीठ ने कहा, 'हम इस मामले के विस्तृत पहलू की जांच पड़ताल उचित समय पर करेंगे। हम इस अर्जी को आवेदक द्वारा संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर रिट याचिका मानेंगे और उसे तदनुसार सूचीबद्ध किया जाए।' आदेश में कहा गया है, 'हम जांच अधिकारी को निर्देश देते हैं कि प्राथमिकी के संबंध में आवेदक के खिलाफ अगले आदेश तक कोई दंडात्मक कार्रवाई न करे।'
जांच अधिकारी बिजेंद्र सिंह को नोटिस जारी करते हुए पीठ ने पूछा कि जैन के खिलाफ इस तरह की कठोर कार्रवाई करने के लिए उनके खिलाफ उचित कार्रवाई क्यों न की जाए। पीठ ने कहा, 'वह आज से दो सप्ताह के भीतर अपना व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करेंगे। दो सप्ताह के बाद रिट याचिका को सूचीबद्ध करें।'