सुप्रीम कोर्ट ने सिंगरौली और सोनभद्र औद्योगिक इकाइयों के तीव्र प्रदूषण जांच के लिए जारी किया नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने तीव्र प्रदूषण की जांच के लिए एनजीटी के आदेश से संबंधित उद्योगों और अधिकारियों द्वारा अनुपालन की मांग वाली याचिका पर केंद्र औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी किया है। एनटीपीसी का प्रदूषण जांचने को कहा गया है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने तीव्र प्रदूषण की जांच के लिए एनजीटी के आदेश से संबंधित उद्योगों और अधिकारियों द्वारा अनुपालन की मांग वाली याचिका पर केंद्र औद्योगिक इकाइयों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश के सिंगरौली और उत्तर प्रदेश के सोनभद्र स्थित एनटीपीसी का प्रदूषण जांचने को कहा गया है।
न्यायाधीश आर एफ नरीमन, नवीन सिन्हा और के एम जोसेफ की पीठ ने पर्यावरण और वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य से प्रतिक्रिया मांगी। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसने दावा किया था कि 6 दिसंबर, 2017 के बावजूद राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के आदेश और न ही उद्योगों और न ही संबंधित अधिकारियों ने क्षेत्र और लोगों में पर्यावरण में सुधार के लिए कोई कदम उठाया है। प्रदूषण के कारण लगातार नुकसान हो रहा है।
याचिका पर वरिष्ठ वकील अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि एनजीटी ने इस मुद्दे पर याचिकाकर्ता को ट्रिब्यूनल द्वारा गठित एक निगरानी समिति से संपर्क करने के लिए कहा।
शीर्ष अदालत के अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने 6 दिसंबर के आदेश को लागू करने की मांग करते हुए एनजीटी में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि समिति का गठन किया गया है, लेकिन इसने क्षेत्र के पर्यावरण को बहाल करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।
बता दें कि थर्मल पावर प्लांट ने एनजीटी 2019 के आदेश के खिलाफ तीन प्लांटों पर पर्यावरण मुआवजा क्रमश: 4.16 करोड़ रुपये, 27 लाख और 45.90 लाख रुपये लगाया था। ट्रिब्यूनल ने यह हर्जाना यह देखते हुए लगाया था कि पर्यावरण मानकों के उल्लंघन से रिहंद बांध समेत कई जलाशयों को नुकसान पहुंचा था। सोन, रेणु, बिजुल, कन्हार, गोपद, पंकगन, कठौता कंचन आदि नदियों, जलधारा व नाले बलिया नाला, चटका नाला, कहुवा नाला, टिप्पा झरिया, डोंगिया नाला आदि का पानी तो प्रदूषित हुआ ही है, भूमिगत जल भी प्रदूषित हो चुका है।
इन थर्मल पावर प्लाटों से निकलने वाले रासायनिक कचरे और राख से पानी बुरी तरह से दूषित हो चुका है। इसीलिए उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण करने वालों की पहचान करके उनसे हर्जाना वसूलने का आदेश दिया था। एनजीटी ने सिंगरौली प्लांट के खिलाफ यह आदेश एक कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद दिया था।