हरिद्वार धर्म संसद में आपत्तिजनक भाषण मामले पर सुनवाई, SC ने उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को भेजा नोटिस
याचिका में हरिद्वार धर्म संसद सम्मेलन में मुसलमानों के प्रति हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण देने वाले लोगों की गिरफ्तारी और मुकदमे की मांग की गई थी। सिब्बल ने कहा कि देश का नारा सत्यमेव जयते से शास्त्रमेव जयते में बदला हुआ लगता है।
नई दिल्ली, एएनआइ। अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कथित रूप से हिंसा भड़काने वाले हरिद्वार धर्म संसद के भाषणों की स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुनवाई की। देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता में सुनवाई कर रही पीठ ने इस मामले में उत्तराखंड और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है।
Supreme Court issues notice to Uttrakhand & Delhi Govts on a petition seeking an independent inquiry into the Haridwar Dharm Sansad hate speeches pic.twitter.com/9lXCSTgOuZ
— ANI (@ANI) January 12, 2022
इससे पहले सोमवार को याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ के समक्ष मामले की तत्काल सुनवाई का उल्लेख किया था। याचिका उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश और वरिष्ठ अधिवक्ता अंजना प्रकाश और पत्रकार कुर्बान अली ने दायर की थी।
याचिका में हरिद्वार धर्म संसद सम्मेलन में मुसलमानों के प्रति हिंसा भड़काने वाले भड़काऊ भाषण देने वाले लोगों की गिरफ्तारी और मुकदमे की मांग की गई थी। सिब्बल ने याचिकाकर्ताओं की तरफ से पैरवी करते हुए कहा कि देश का नारा 'सत्यमेव जयते' से 'शास्त्रमेव जयते' में बदला हुआ लगता है।
सिब्बल ने मामले का जिक्र करते हुए शीर्ष अदालत से कहा, हम बहुत खतरनाक समय में रह रहे हैं जहां देश में नारे सत्यमेव जयते से बदलकर शास्त्रमेव जयते हो गए हैं। सिब्बल ने कहा कि मामले में प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है लेकिन किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। कथित तौर पर 17 से 19 दिसंबर, 2021 के बीच हरिद्वार में यति नरसिंहानंद और दिल्ली में 'हिंदू युवा वाहिनी' द्वारा नफरत भरे भाषण दिए गए थे।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि कथित घृणास्पद भाषणों में जातीय नरसंहार के लिए खुले आह्वान किए गए थे। याचिका में आगे कहा गया है, यह ध्यान रखना जरूरी है कि उक्त भाषण केवल अभद्र भाषा नहीं हैं, बल्कि एक पूरे समुदाय की हत्या के लिए एक खुला आह्वान है। इस प्रकार उक्त भाषण हमारे देश की एकता और अखंडता के लिए एक गंभीर खतरा हैं।
इसमें आगे कहा गया है कि यह ध्यान रखना प्रासंगिक है कि उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस द्वारा वहां आयोजित कार्यक्रम के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई है, इस तथ्य के बावजूद कि नरसंहार के लिए नफरत भरे भाषण इंटरनेट पर मौजूद हैं।