Move to Jagran APP

सबरीमाला मंदिर मामला: SC ने महिलाओं पर लगी पाबंदी को बताया तर्कहीन

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने तर्कहीन बताया। अब मामले की अगली सुनवाई 24 जुलाई को होगी।

By Arti YadavEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 12:33 PM (IST)Updated: Thu, 19 Jul 2018 02:12 PM (IST)
सबरीमाला मंदिर मामला: SC ने महिलाओं पर लगी पाबंदी को बताया तर्कहीन
सबरीमाला मंदिर मामला: SC ने महिलाओं पर लगी पाबंदी को बताया तर्कहीन

माला दीक्षित, नई दिल्ली। केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से लेकर 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी को सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अतार्किक और भेदभाव पूर्ण कहा। मंदिर में पूजा के लिए महिलाओं के 41 दिन का वृत रखे जाने को असंभव बताने की दलीलों से असहमति जताते हुए कोर्ट ने कहा कि कानून असंभव को मान्यता नहीं देता। जो चीज सीधे नहीं की जा सकती उसे परोक्ष रूप से किया गया है।

loksabha election banner

ये तल्ख टिप्पणियां मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने मामले पर सुनवाई के दौरान कीं। जस्टिस मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधानपीठ आजकल सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी के मामले में सुनवाई कर रही है। मामले में मंगलवार को फिर बहस होगी।

गुरुवार को मंदिर प्रबंधन देखने वाले त्रवणकोर देवासम बोर्ड के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने निश्चित आयु की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश पर पाबंदी को जायज ठहराते हुए कहा कि सबरीमाला मंदिर के भगवान अयप्पा बाल ब्रह्मचारी हैं और भगवान की शुद्धता बनाए रखने के लिए 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई गई है क्योंकि धारणा है कि इस उम्र की महिलाओं को मासिक धर्म होता है। उन्होंने कहा कि इसे लिंग आधारित भेदभाव नहीं कहा जा सकता क्योंकि 10 से कम और 50 से अधिक आयु की महिलाओं पर रोक नहीं है। यहां तक कि इस मंदिर में किसी भी जाति या धर्म के व्यक्ति पर रोक नहीं है।

उन्होंने कहा कि हर जगह के अपने अपने नियम होते हैं। जैसे मंदिर में प्रवेश से पहले जूते उतारने पड़ते हैं लेकिन चर्च में जूतों के साथ प्रवेश मिलता है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मंदिर में प्रवेश के लिए जूते उतारने की शर्त एक तार्किक शर्त है रोक नहीं है लेकिन यहां रोक है। ये रोक अतार्किक है। ये एक अलग तरह का भेदभाव है। सिंघवी ने कहा कि भगवान अयैप्पा के हजारों मंदिर हैं कहीं भी पाबंदी नहीं है सिर्फ एकमात्र इस मंदिर में विशेष कारण से पाबंदी है। उन्होंने कहा कि इतने और मंदिर हैं वहां क्यों नहीं जाते सबरीमाला ही क्यों आना चाहते हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ये व्यक्ति का विश्वास है। जस्टिस मिश्रा ने कहा कि भगवान जगन्नाथ के पूरे देश में हजारों मंदिर हैं फिर भी लोग पुरी जाते हैं। ऐसा इसलिए कि लोगों का विश्वास वहां है। किसी का विश्वास किसी विशेष जगह में हो सकता है।

उधर केरल सरकार ने गुरुवार को एकबार फिर अपना रुख साफ करते हुए कहा कि सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश मिलना चाहिए। 10 से 50 साल की महिला पर रोक ठीक नहीं है क्योंकि एक 46 वर्ष की अति बीमार महिला वहां जाने की इच्छा रख सकती है और अगर उसे 50 वर्ष के बाद आने को कहा जाए तो उसके लिए ताउम्र की रोक के समान होगा। राज्य ने कहा कि मेडिकल साइंस की तरक्की के बावजूद ये नहीं कहा जा सकता कि व्यक्ति 50 वर्ष के बाद अवश्य जीवित रहेगा। कोर्ट को संवैधानिक प्रावधानों के तहत इस पर विचार करना होगा। न्यायमित्र राजू रामचंद्र ने भी पाबंदी को अनुचित बताया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.