सुप्रीम कोर्ट ने कहा- किसी व्यक्ति को प्रलोभन देकर उससे कुछ हथियाना ही धोखाधड़ी है
धोखाधड़ी के मामलों पर आइपीसी की धारा 415 को परिभाषित करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि किसी से पैसा या कोई संपत्ति लेने के लिए जानबूझकर प्रलोभन देना इसकी अहम शर्त है।
नई दिल्ली, एजेंसी। धोखाधड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम व्यवस्था दी है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि किसी व्यक्ति को प्रलोभन देकर उससे कुछ हथियाना ही धोखाधड़ी है। धोखाधड़ी के मामलों पर आइपीसी की धारा 415 को परिभाषित करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि किसी से पैसा या कोई संपत्ति लेने के लिए जानबूझकर प्रलोभन देना इसकी अहम शर्त है।
अदालत में अर्चना राणा नाम की महिला की याचिका पर सुनवाई चल रही थी। महिला और उसके पति पर धोखाधड़ी का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि बेटे को नौकरी दिलाने के बदले महिला के पति ने उससे पांच लाख रुपये लिए थे, लेकिन नौकरी नहीं लगवाई। जब वह पैसे वापस लेने गया तो उसके साथ अभद्रता की गई। इस मामले में शिकायतकर्ता ने महिला और उसके पति के खिलाफ धोखाधड़ी और मारपीट व अभद्रता की धाराओं में एफआइआर कराई है।
मामला आजमगढ़ के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित है। महिला ने अपने खिलाफ लगी धाराएं हटाने के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दी थी। वहां से राहत नहीं मिलने के बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।शीर्ष अदालत ने कहा, 'प्रलोभन देने और पैसे लेने के आरोप महिला के पति पर लगाए गए हैं। ऐसा कहीं नहीं कहा गया है कि महिला ने भी शिकायतकर्ता को कोई प्रलोभन दिया और उससे पैसे लिए। इसलिए पहली नजर में आरोप सही होते हुए भी महिला पर धोखाधड़ी का मामला नहीं बनता है।' अदालत ने धोखाधड़ी की धाराएं हटाने के साथ ही मारपीट व अभद्रता की धाराओं को बनाए रखने और आगे उनके अनुरूप कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा।