Move to Jagran APP

Ayodhya Final Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्‍थल पर मंदिर निर्माण के दिए आदेश, कहा- दूसरी जगह बने मस्जिद

Ayodhya Case Final Verdict 2019 सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 70 साल से कानूनी लड़ाई में उलझे देश के सबसे चर्चित अयोध्या भूमि विवाद मामले में अपना फैसला सुनाया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 09 Nov 2019 11:55 AM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 06:32 PM (IST)
Ayodhya Final Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्‍थल पर मंदिर निर्माण के दिए आदेश, कहा- दूसरी जगह बने मस्जिद
Ayodhya Final Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्‍थल पर मंदिर निर्माण के दिए आदेश, कहा- दूसरी जगह बने मस्जिद

नई दिल्‍ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 70 साल से कानूनी लड़ाई में उलझे और पांच सौ साल से अधिक पुराने देश के सबसे चर्चित अयोध्या भूमि विवाद मामले में अपना फैसला सुनाया। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में विवादित स्‍थल पर राम मंदिर के निर्माण का रास्‍ता साफ करते हुए विवादित भूमि न्यास को सौंपने का आदेश दिया। साथ सरकार को निर्देश दिया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद के निर्माण के लिए अयोध्या में ही किसी दूसरे स्थान पर पांच एकड़ का भूखंड आवंटित किया जाए।

loksabha election banner

मुख्‍य न्‍यायाधीश ने पढ़ा फैसला 

खचाखच भरे कोर्टरूम नंबर-1 में मुख्‍य न्‍यायाधीश रंजन गोगोई ने खुद करीब 45 मिनट में पूरे फैसले को पढ़ा। अदालत ने फैसले में केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह तीन महीने के भीतर सेंट्रल गवर्नमेंट ट्रस्ट की स्थापना करे और विवादित स्थल को मंदिर निर्माण के लिए सौंप दे जिसके प्रति हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम का जन्म वहीं पर हुआ था। अदालत ने यह भी कहा कि अयोध्या में पांच एकड़ वैकल्‍प‍िक जमीन सुन्नी वक्‍फ बोर्ड को प्रदान करे।

मस्जिद का निर्माण भी प्रतिष्ठित जगह पर ही हो 

पांच जजों की संविधान पीठ ने अपने 1045 पन्नों के फैसले में कहा कि अपने निर्देश में यह भी स्‍पष्‍ट किया कि मस्जिद का निर्माण भी किसी प्रतिष्ठित जगह (prominent site) पर ही होना चाहिए। पीठ ने कहा कि 2.77 एकड़ की विवादित भूमि का अधिकार राम लला की मूर्ति को सौंप दिया जाए, हालांकि इसका कब्जा केंद्र सरकार के रिसीवर के पास ही रहेगा। बता दें कि देश के इस सबसे पु‍राने विवाद ने सामाजिक ताने बाने को तार तार कर दिया था। 

निर्मोही अखाड़े का दावा खारिज 

सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े के दावे को खारिज करते हुए रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड को ही पक्षकार माना। यही नहीं अदालत ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा विवादित भूमि (Ram Janmabhoomi) को तीन पक्षों में बांटने के फैसले को अतार्किक बताया। अदालत ने कहा कि विवादित स्थल पर रामलला के जन्म के पर्याप्‍त साक्ष्य हैं और अयोध्या में भगवान राम का जन्म ह‍िंदुओं की आस्था का मामला है और इस पर कोई विवाद नहीं है।

सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि हिंदू यह साबित करने में सफल रहे हैं कि विवादित ढांचे के बाहरी बरामदे पर उनका कब्जा था। सुन्नी वक्फ बोर्ड, उत्‍तर प्रदेश मामले में अपना दावा साबित करने में विफल रहा है। यही नहीं अदालत ने निर्मोही अखाड़ा को भी झटका दिया। अदालत ने कहा कि अखाड़ा राम लला की मूर्ति का उपासक या सेवादार नहीं है। निर्मोही अखाड़े का दावा कानूनी समय सीमा के तहत प्रतिबंधित है। 

बाहरी बरामदे में हिंदू पूजा अर्चना करते थे 

संविधान पीठ ने यह माना कि विवादित स्थल के बाहरी बरामदे में हिंदू पूजा अर्चना करते रहे हैं। साक्ष्यों से पता चलता है कि मस्जिद में शुक्रवार को मुस्लिम नमाज भी पढ़ते थे। मस्जिद में नमाज पढ़ने में बाधा पैदा होने के बावजूद सबूत इस तथ्‍य को प्रमाणित करते हैं कि वहां नमाज पढ़ना बंद नहीं हुआ था। अदालत ने यह भी स्‍पष्‍ट तौर पर कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के नीचे मिली संरचना इस्लामिक नहीं थी। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ASI ने यह साबित नहीं किया कि मस्जिद निर्माण के लिए मंदिर गिराया गया था।

पुरातत्व सर्वेक्षण के साक्ष्य महज राय नहीं 

सर्वोच्‍च अदालत ने कहा कि पुरातत्व सर्वेक्षण के साक्ष्यों को महज राय बताना इसका अन्याय होगा। हिंदू विवादित स्थल को ही भगवान राम का जन्म स्थान मानते हैं। यही नहीं मुस्लिम भी इस जगह के बारे में यही राय रखते हैं। विवादित ढांचे में ही भगवान राम का जन्म होने के बारे में हिंदुओं की आस्था अविवादित है। यही नहीं सीता रसोई, राम चबूतरा और भंडार गृह की मौजूदगी भी इस स्‍थान के एक धार्मिक स्‍थल होने की गवाही देती है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि केवल आस्था और विश्वास के आधार पर मालिकाना हक स्थापित नहीं किया जा सकता है।  

सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड फैसले को नहीं देगा चुनौती 

फैसला आने के बाद रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा कि अयोध्या का फैसला लोगों की जीत है। वहीं सुन्नी केंद्रीय वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जीलानी ने फैसले में विरोधाभास का जिक्र किया। हालांकि, उत्‍तर प्रदेश सुन्‍नी वक्‍फ बोर्ड के अध्‍यक्ष जफर फारूकी ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विनम्रता पूर्वक सम्‍मान करते हैं। बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समीक्षा के लिए अपील नहीं करेगा और न ही कोई उपचारात्मक याचिका दायर करेगा। दूसरी ओर, निर्मोही अखाड़े ने कहा कि उसका दावा खारिज किये जाने का उसे कोई मलाल नहीं है। 

शांति बनाये रखने की अपील

फैसला आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सभी समुदायों से फैसला स्वीकारने और शांति बनाये रखने की अपील की। उन्‍होंने कहा कि देश के लोग ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के प्रति प्रतिबद्ध रहें। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सामाजिक ताने बाने को और मजबूती देगा। वहीं कांग्रेस ने कहा कि वह फैसले का सम्मान करती है और अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो इसके पक्ष में है। दूसरी ओर विश्‍व हिेंदू परिषद के पूर्व प्रवीण तोगडिया ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के लिए राम लला को स्थान दिया जाना लाखों कार्यकर्ताओं के त्याग का सम्मान है।

5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया

राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने सर्वसम्मति यानी 5-0 से ऐतिहासिक फैसला सुनाया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एस अब्दुल नजीर की संविधान पीठ ने राजनैतिक, धार्मिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील इस मुकदमें की 40 दिन तक मैराथन सुनवाई करने के बाद गत 16 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। देश के संवेदनशील मामले में फैसले के मद्देनजर देशभर में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट पर हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.