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नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए केंद्र को 31 दिसंबर तक मोहलत- SC का आदेश

देश की शीर्ष अदालत ने 17 मार्च को अपने एक फैसले में नौसेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिला और पुरुष अधिकारियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 01:40 PM (IST)Updated: Thu, 29 Oct 2020 01:40 PM (IST)
नौसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने के लिए केंद्र को 31 दिसंबर तक मोहलत- SC का आदेश
नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का मामला।

नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के अपने फैसले को लागू करने की समय सीमा 31 दिसंबर तक बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने नौसेना (Navy) में महिलाओं को स्थायी कमीशन (Permanent Commission) का आदेश लागू करने की मोहलत तीन माह आगे बढ़ा दी है। केंद्र सरकार को अब यह आदेश 31 दिसंबर 2020 तक लागू करना होगा।

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देश की शीर्ष अदालत ने 17 मार्च को अपने एक फैसले में नौसेना में महिलाओं के स्थायी कमीशन की बात कही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि महिला और पुरुष अधिकारियों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। इसके साथ ही कोर्ट ने नौसेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन को मंजूरी दी और केंद्र को तीन महीने के भीतर इसके तौर-तरीके पूरे करने को कहा था। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, इंदु मल्होत्रा ​​और इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि भारतीय नौसेना में शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया जा रहा है।

केंद्र ने कोरोना महामारी का हवाला देते हुए समय सीमा को छह महीने तक बढ़ाने के लिए जून में आवेदन दिया था। शीर्ष अदालत, जिसने बुधवार को आवेदन लिया उसने कहा कि वह 31 दिसंबर तक इस समय सीमा को बढ़ा रही है। पीठ ने केंद्र से यह भी कहा कि वह पांच नौसैनिक महिला अधिकारियों को चार सप्ताह में 25 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करे, जिन्हें पेंशन लाभ के अलावा स्थायी कमीशन के लिए नहीं माना गया था, जो उन्हें पहले ही दे दिया गया था।

17 मार्च को, एक बड़े फैसले में शीर्ष अदालत ने भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का मार्ग प्रशस्त किया था, यह कहते हुए कि एक स्तर का खेल मैदान सुनिश्चित करता है कि महिलाओं को भेदभाव के इतिहास से उबरने का अवसर मिले।


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