Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट ने असम में घुसपैठियों को वर्षो तक हिरासत में रखने पर गंभीर चिंता जताई

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की पीठ ने असम सरकार के एनआरसी का हवाला देते हुए कहा कि 40 लाख लोग इसमें शामिल नहीं हैं। इसका मतलब यह होता है कि ये सभी विदेशी हैं?

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 11:10 PM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 11:10 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने असम में घुसपैठियों को वर्षो तक हिरासत में रखने पर गंभीर चिंता जताई
सुप्रीम कोर्ट ने असम में घुसपैठियों को वर्षो तक हिरासत में रखने पर गंभीर चिंता जताई

नई दिल्ली, प्रेट्र/आइएएनएस सुप्रीम कोर्ट ने असम में अवैध घुसपैठियों को वर्षो से हिरासत केंद्रों में रखने पर गंभीर चिंता जताई है। अदालत ने मंगलवार को सालिसीटर जनरल तूषार मेहता से पूछा, 'क्या आप नहीं समझते हैं कि राज्य सरकार से यह जवाब मांगा गया है कि ये लोग वर्षो से हिरासत केंद्रों में क्यों रखे गए हैं? कई तो 9-10 साल से हिरासत में हैं। इसका औचित्य क्या है?' मेहता कोर्ट में असम सरकार का पक्ष रख रहे थे।

loksabha election banner

चीफ जस्टिस  की अध्यक्षता वाली पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान असम सरकार के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का हवाला देते हुए कहा कि 40 लाख लोग इसमें शामिल नहीं हैं। क्या इसका मतलब यह होता है कि ये सभी विदेशी हैं?

पीठ में जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस संजीव खन्ना भी शामिल थे। पीठ ने कहा कि घुसपैठियों को अनिश्चित काल के लिए हिरासत में नहीं रखा जा सकता। कोर्ट ने कहा, 'हिरासत केंद्रों की स्थिति दयनीय है। यह जिला जेल का ही हिस्सा हैं। इतने दिनों तक घुसपैठिये वर्चुअल जेल में रहे।'

मेहता ने कोर्ट को बताया कि घुसपैठियों को वापस भेजने से पहले उनकी राष्ट्रीयता तय किया जाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि फिलहाल असम के छह हिरासत शिविरों में 938 व्यक्ति मौजूद हैं। इनमें 823 को न्यायाधिकरणों ने विदेशी घोषित कर रखा है। 27,000 से अधिक विदेशियों को भारत में घुसपैठ के दौरान सीमा से वापस खदेड़ दिया गया।

28 जनवरी को कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से पूछा था कि असम में कितने हिरासत केंद्र चल रहे हैं। पिछले दस वर्षो के दौरान कितने विदेशियों को हिरासत में लिया गया। मेहता ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकार ने हलफनामों में विस्तृत जानकारी दी है। विभिन्न सुविधाओं वाला नया हिरासत केंद्र 31 अगस्त तक तैयार हो जाएगा।

इस दौरान कोर्ट ने कहा कि ट्रिब्यूनल ने 52 हजार विदेशी घोषित कर रखे हैं, जबकि केंद्र ने अब तक सिर्फ 166 को वापस उनके देश भेजा है। पीठ ने कहा, 'जनता असम सरकार पर कैसे विश्वास करेगी?' कोर्ट ने आगे कहा कि असम में अवैध घुसपैठ की समस्या पिछले 50 वर्षो से है। अब तक इन घुसपैठियों को वापस भेजने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए?

कोर्ट के सवालों का जवाब देने के लिए मेहता ने दो सप्ताह का वक्त मांगा, जिस पर पीठ ने सहमति जताते हुए मामले की अगली सुनवाई 13 मार्च तय की।

बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सुप्रीम कोर्ट हैरान

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों पर वकील प्रशांत भूषण के आरोप पर आश्चर्य जताया। भूषण ने आरोप लगाया था कि असम के हिरासत केंद्रों से घुसपैठियों को ट्रेन के जरिये बांग्लादेश सीमा पर ले जाया गया और उन्हें पार करने के लिए मजबूर किया गया।

पीपुल्स यूनियन आफ सिविल लिबर्टी की रिपोर्ट के हवाले से भूषण ने कोर्ट में यह आरोप लगाया। उनके पक्ष रखने के तत्काल बाद चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने पूछा, 'आपको यह कैसे पता चला कि लोगों को भारत-बांग्लादेश सीमा पर ट्रेन से ले जाया गया और उन्हें सीमा पार करने के लिए मजबूर किया गया। जहां तक मैं जानता हूं भारत-बांग्लादेश सीमा के किसी भी हिस्से में ट्रेन के जरिये नहीं पहुंचा जा सकता।'

भूषण ने अपनी बात में तत्काल जोड़ा कि ट्रेन के बाद घुसपैठिये को सड़क के जरिये सीमा तक ले जाया गया। उन्होंने कहा कि बीएसएफ ने घुसपैठियों को सीमा पार करने अथवा गोली मारने की धमकी भी दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.