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सुप्रीम कोर्ट ने ठुकराई जुगाड़ रिक्शा निर्माताओं पर कार्रवाई की मांग, ऐसे वाहनों के परिचालन को बताया गया था खतरनाक

सुप्रीम कोर्ट ने हाइब्रिड या जुगाड़ रिक्शा निर्माताओं और उपयोगकर्ताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। ऐसे रिक्शा को विभिन्न वाहनों के हिस्सों को जोड़कर बनाया जाता है। इनका इस्तेमाल सामान ढोने में होता है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 15 Jan 2021 06:37 PM (IST)Updated: Fri, 15 Jan 2021 06:37 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने हाइब्रिड रिक्शा निर्माताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी।

नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को हाइब्रिड (Hybrid Rickshaws) या जुगाड़ रिक्शा (Jugaad Rickshaws) निर्माताओं और उपयोगकर्ताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। ऐसे रिक्शा को विभिन्न वाहनों के हिस्सों खासकर स्कूटर व मोटर बाइक के पुराने हिस्सों और पैडल रिक्शा के हिस्सों को जोड़कर बनाया जाता है। इनका इस्तेमाल विशेषकर सामान ढोने के लिए किया जाता है।

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जस्टिस आरएफ नरीमन (Justice RF Nariman) की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार करते हुए कहा, 'व्यक्तिगत रूप से पेश याचिकाकर्ता को सुना। हमें रिट याचिका में कोई मेरिट नहीं मिली। लिहाजा रिट याचिका को खारिज किया जाता है।' अंशुल गुप्ता (Anshul Gupta) द्वारा दायर इस याचिका में मांग की गई थी कि जुगाड़ रिक्शा निर्माताओं (Jugaad Rickshaws Manufacturers) और उपयोगकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि वे सड़कों पर न दौड़ सकें।

याचिकाकर्ता (Anshul Gupta) की दलील थी कि सड़कों पर इन जुगाड़ गाड़ि‍यों (Hybrid or Jugaad Rickshaws) का दौड़ना सुरक्षित नहीं है। याचिका के मुताबिक ऐसे रिक्शा का निर्माण (Jugaad Rickshaws Manufacturers) और उपयोग मोटर वाहन अधिनियम (Motor Vehicles Act) का उल्लंघन है। इसके अलावा इनका इस्तेमाल पर्यावरण के साथ-साथ सड़कों पर चलने वाले लोगों के लिए भी खतरनाक है।

याचिका में कहा गया है, 'इन वाहनों के पास प्रदूषण प्रमाणपत्र, बीमा इत्यादि जैसी अनुमति भी नहीं होती, लेकिन वे शहर की सड़कों पर बेधड़क दौड़ते हैं। ड्राइविंग लाइसेंस की भी ऐसी कोई कैटेगरी नहीं है जो किसी व्यक्ति को ऐसे वाहनों को चलाने की अनुमति प्रदान करती हो। इसके बावजूद ऐसे वाहनों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है।' 


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