Move to Jagran APP

भोपाल गैस त्रासदी के मामले में राहत और पुनर्वसन खर्चा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

भोपाल गैस त्रासदी मामले में 28 जनवरी 2010 को दायर की गई याचिका सुप्रीम कोर्ट 5 जजों की बेंच ने राहत और पुनर्वसन खर्चों को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्‍य सरकार को निदेश दिया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sat, 25 Jan 2020 03:43 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jan 2020 03:53 PM (IST)
भोपाल गैस त्रासदी के मामले में राहत और पुनर्वसन खर्चा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश
भोपाल गैस त्रासदी के मामले में राहत और पुनर्वसन खर्चा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिया निर्देश

नई दिल्‍ली, एएनआइ। 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी मामले में 28 जनवरी, 2010 को दायर की गई याचिका सुप्रीम कोर्ट 5 जजों की बेंच ने राहत और पुनर्वसन खर्चों को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्‍य सरकार को निदेश दिया है। इस हादसे में हजारों लोग वर्षों तक राहत और पुनर्वसन के लिए संघर्ष करते रहे। 

loksabha election banner

16 हजार लोगों की हुई थी मौत

भोपाल में 2-3 दिसंबर 1984 की रात को करीब 16 हजार लोगों की मौत हुई थी। भारत के इतिहास में इस रात को भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। इस हादसे की वजह यूनियन कार्बाइड कंपनी के कारखाने में हुआ जहरीली गैस का रिसाव था। कड़ाके की ठंड में यह हादसा उस वक्‍त हुआ जब सब लोग अपने घरों में सो रहे थे। रिसाव इतना तेज था कि इसने कुछ ही समय में काफी बड़े हिस्‍से को अपनी चपेट में ले लिया था। लोगों को सांस लेने में दिक्‍कत, आंखों में जलन वगैरह की दिक्‍कत होनी शुरू हो गई थी।

पांच लाख लोग आए थे चपेट में

रात में शुरू हुई ये परेशानी धीरे-धीरे ज्‍यादा बड़े क्षेत्र में फैल चुकी थी। इसकी चपेट में हजारों लोग आ चुके थे। सुबह होने तक जहां तहां लोगों की मौत की खबरें आनी शुरू हो गई थीं। सांस न ले पाने की वजह से सड़कों पर मवेशियों के साथ लोगों की लाशें पड़ी थीं। कोई ये नहीं समझ पा रहा था कि ये सब कुछ क्‍यों हो रहा है। इस दौरान मारे गए लोगों की संख्‍या को लेकर कई एजेंसियों की भी अलग-अलग राय है। मध्‍य प्रदेश की तत्‍कालीन सरकार ने 3787 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की थी, जबकि अनाधिकृत तौर पर इनकी गिनती 16 हजार तक पहुंच गई थी। इस हादसे की चपेट में पांच लाख लोग आए थे।

कैसे हुआ ये सब 2-3 दिसंबर की रात

करीब आधा दर्जन कर्मचारी कंपनी के अंदर मौजूद एक अंडरग्राउंड टैंक 610 के पास एक पाइपलाइन की सफाई करने जा रहे थे। इसी दौरान टैक का तापमान जो पांच डिग्री सेल्सियस होना चाहिए था 200 डिग्री तक पहुंच गया था। टैंक का तापमान अचानक बढ़ने की वजह एक फ्रीजर प्‍लांट का बंद करना था जिसे बिजली का बिल कम करने की वजह से बंद किया गया था। टैंक का तापमान बढ़ने पर गैस पाइपों में पहुंचने लगी। रही सही कसर उन वॉल्‍व ने पूरी कर दी थी जो ठीक से बंद तक नहीं थे। गैस इनके रास्‍ते लीक हो रही थी।

मुख्य आरोपी की हो चुकी है मौत

यूनियन कार्बाइड कारखाने की जहरीली गैस से ही मौतों के मामलों और बरती गई लापरवाहियों के लिए फैक्ट्री के संचालक वॉरेन एंडरसन को मुख्य आरोपी बनाया गया था। हादसे के तुरंत बाद वह भारत से रातों रात भाग निकला। वर्षों तक उसको भारत लाने की कोशिशें होती रहीं लेकिन नाकामी ही हाथ लगी। 29 सितंबर 2014 को उसकी मौत हो गई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.