कोरोना अस्पतालों पर सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश, 4 हफ्ते के भीतर फायर डिपार्टमेंट से लें NOC
कोविड-19 मरीजों को लेकर गंभीर सुप्रीम कोर्ट ने देश भर में कोरोना अस्पतालों की सुरक्षा व काम करने वाले डॉक्टरों के लिए निर्देश जारी किया है। इसका पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके तहत कोर्ट ने चार सप्ताह का वक्त दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को देश के सभी राज्यों में स्थित कोरोना अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर निर्देश जारी किया है। इन निर्देशों का पालन न करने वाले अस्पतालों पर कड़ी कार्रवाई की भी चेतावनी कोर्ट ने दी है।
इसके तहत सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को चार सप्ताह का समय देते हुए कहा, 'कोरोना अस्पतालों में आग की सुरक्षा संबंधित ऑडिट करा इसके लिए फायर डिपार्टमेंट से नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) लेना होगा और नोडल अधिकारी की नियुक्ति करनी होगी जो अस्पताल का रिपोर्ट राज्य प्रशासन को सौंपेगा। कोर्ट ने यह भी कहा कि सभी राज्यों को कोविड-19 संबंधित एसओपी और गाइड लाइन का पालन करना होगा।' वहीं कोविड अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टरों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'सरकार ऐसा तंत्र विकसित करें जिसमें लगातार काम कर रहे डॉक्टरों को क्रमवार ब्रेक दिया जाए।'
#COVIDー19 सुप्रीमकोर्ट ने सभी राज्यों से कहा कोरोना अस्पतालों में नोडल अधिकारी नियुक्त करें।वहां आग से सुरक्षा का ऑडिट कराएं। चुनावी रैलियों में चुनावआयोग की गाइडलाइन का पालन हो। सरकार ऐसा तंत्र विकसित करें जिसमें लगातार काम कर रहे डॉक्टरों को क्रमवार ब्रेक दिया जाए।@JagranNews— Mala Dixit (@mdixitjagran) December 18, 2020
मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने कहा कि जिन अस्पतालों की NOC एक्सपायर हो चुकी है वे उसे चार सप्ताह के भीतर रिन्यू करा लें। साथ ही बेंच ने यह भी कहा कि राजनीतिक रैलियों व कोविड-19 दिशानिर्देशों का मामला चुनाव आयोग देखेगी। मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण (Ashok Bhushan) की अगुवाई वाली बेंच कर रही थी। इस बेंच में जस्टिस आरएस रेड्डी (Justice RS Reddy) और एमआर शाह (MR Shah) भी थे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के राजकोट स्थित कोविड-19 अस्पताल में आग लगने की घटना पर संज्ञान लिया जिसमें कई मरीजों की मौत हो गई थी।