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2002 Gujarat riots case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो को 50 लाख, सरकारी नौकरी और घर देने का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2002 के गुजरात दंगा मामले में सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को दंगा पीडि़त बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Tue, 23 Apr 2019 01:30 PM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 06:33 PM (IST)
2002 Gujarat riots case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो को 50 लाख, सरकारी नौकरी और घर देने का दिया आदेश
2002 Gujarat riots case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो को 50 लाख, सरकारी नौकरी और घर देने का दिया आदेश

नई दिल्ली, प्रेट्र। 2002 Gujarat riots case सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को साल 2002 के 'गुजरात दंगा मामले' में सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को आदेश दिया कि वह दंगा पीडि़त बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये मुआवजा, सरकारी नौकरी और आवास मुहैया कराए। बिलकिस बानो साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान सामूहिक दुष्कर्म की शिकार हुई थी।

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मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ को गुजरात सरकार ने सूचित किया कि इस मामले में चूक करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। उनके पेंशन लाभ रोक दिए गए हैं और बांबे हाईकोर्ट ने जिस आइपीएस अधिकारी को दोषी माना है, उसे दो रैंक डिमोट किया गया है। बता दें कि बिलकिस ने पूर्व में राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित पांच लाख रुपये का मुआवजा लेने से इनकार कर दिया था और दृष्टांत बनने लायक मुआवजा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।

बिलकिस बानो की याचिका पर शीर्ष अदालत ने 29 मार्च को राज्य सरकार को कहा था कि वह चूक करने वाले सभी अफसरों पर दो हफ्ते में अनुशासनात्मक कार्रवाई करे। पिछली सुनवाई में बानो की वकील शोभा गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि हाईकोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इनमें से एक आइपीएस अफसर इसी साल रिटायर होने वाले हैं और चार अन्य जो रिटायर हो चुके हैं, उनकी पेंशन व अन्य सेवानिवृत्ति लाभ रोकने की कार्रवाई नहीं की गई है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, तीन मार्च 2002 को अहमदाबाद के समीप रनधिकपुर गांव में भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार पर हमला किया था। उस समय पांच माह की गर्भवती बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ था और उसके परिवार के सदस्यों पर हमला किया गया था। अहमदाबाद में सुनवाई शुरू हुई। बानो ने गवाहों और सीबीआइ सुबूतों को नुकसान पहुंचाने की आशंका जताई थी। शीर्ष कोर्ट ने अगस्त 2004 में मामला मुंबई स्थानांतरित कर दिया।

विशेष कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को 11 लोगों को दोषी ठहराया और उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने पुलिसकर्मी और डॉक्टरों सहित सात लोगों को बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने चार मई 2017 को पांच पुलिसकर्मी और दो डॉक्टरों सहित सात को दोषी ठहराया। 10 जुलाई 2017 को दो डॉक्टरों और चार पुलिसकर्मियों की अपील खारिज कर दी थी। एक अधिकारी ने अपील नहीं की थी। 


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