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प्रोन्नति में आरक्षण पर अंतरिम आदेश को लेकर केंद्र सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण पर 2019 के फैसले पर अंतरिम आदेश को लेकर केंद्र की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 06:04 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 06:04 AM (IST)
प्रोन्नति में आरक्षण पर अंतरिम आदेश को लेकर केंद्र सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज
प्रोन्नति में आरक्षण पर अंतरिम आदेश को लेकर केंद्र सरकार की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज

नई दिल्ली, आइएएनएस। सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण पर यथास्थिति बनाए रखने के अपने 15 अप्रैल, 2019 के फैसले पर अंतरिम आदेश को लेकर केंद्र सरकार की याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया है। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एल नागेश्वर राव की पीठ ने केंद्र की ओर से पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कहा कि न्याय के हित में हम यथास्थिति के फैसले में कोई बदलाव नहीं करेंगे। इन मसलों पर चार हफ्ते बाद सुनवाई होगी।

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अटॉर्नी जनरल ने अदालत से कहा कि 31 जनवरी, 2020 तक 23 विभागों में 1.3 लाख से ज्यादा पद खाली थे। इससे सरकारी कर्मचारियों में असंतोष फैल सकता है। उन्होंने इन खाली पदों पर अस्थायी नियुक्ति का अंतरिम आदेश जारी करने की अपील की। उन्होंने कहा कि इसमें मेरिट का कोई प्रश्न नहीं होगा, केवल वरिष्ठता के आधार पर नियुक्ति होगी। बाद में फैसले के आधार पर काम किया जाएगा। सामान्य श्रेणी के कर्मचारियों की ओर से पेश हुए वकील ने इस मामले में अंतरिम आदेश का विरोध किया। 

वकीलों ने मामले की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के बजाय अदालत में प्रस्तुत होकर करने की अपील की। पीठ ने कहा कि सात जजों की पीठ चार हफ्ते में तय करेगी कि सुनवाई किस तरह हो। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि फिलहाल सभी की मौजूदगी में कोर्ट कक्षों में मुकदमों की सुनवाई की संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि न्यायाधीशों की सात सदस्यीय समिति चार सप्ताह बाद स्थिति पर विचार करेगी। बता दें कि कोरोना वायरस (COVID-19) के संक्रमण को देखते हुए शीर्ष अदालत 25 मार्च से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रही है।

बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण और परिणामी वरिष्ठता पर अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि राज्य सरकार पर्याप्त प्रतिनिधित्व जांचे बगैर प्रोन्नति में आरक्षण के साथ परिणामी वरिष्ठता नहीं दे सकती। सुप्रीम कोर्ट ने एम नागराज और जनरैल सिंह के मामले में संविधान पीठ के पूर्व फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण के साथ परिणामी वरिष्ठता देने से पहले पर्याप्त प्रतिनिधित्व जांचना जरूरी होगा। 


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