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कोरोना के कारण अग्रिम जमानत संबंधी हाई कोर्ट के निर्देश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

वरिष्ठ वकील वी गिरि को इस मामले में मदद के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया कि क्या कोरोना अग्रिम जमानत देने का आधार हो सकता है। शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उच्च न्यायालय के 10 मई के आदेश को चुनौती दी गई है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Tue, 25 May 2021 07:58 PM (IST)Updated: Tue, 25 May 2021 07:58 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, अदालतें अन्य मामले में अग्रिम जमानत देने के लिए इस निर्देश पर विचार न करें

नई दिल्ली, प्रेट्र। उच्चतम न्यायालय ने धोखाधड़ी के एक मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एक आरोपित को अग्रिम जमानत देते हुए दिए गए व्यापक निर्देशों पर मंगलवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने यह कहते हुए आरोपित को जमानत दी थी कि कोरोना संक्रमण के चलते मौत की आशंका राहत देने का वैध आधार हो सकती है।

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शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालतें अन्य मामले में आरोपितों को अग्रिम जमानत देने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा 10 मई को जारी किए गए निर्देशों पर विचार नहीं करेंगी। न्यायमूर्ति विनीत सरन और बीआर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, व्यापक निर्देश जारी किए गए हैं और हम उन पर रोक का निर्देश देते हैं। अदालतें अन्य मामलों में आरोपितों को अग्रिम जमानत देने के लिए इन निर्देशों पर विचार नहीं करेंगी और वे हर मामले के गुण-दोष पर गौर करेंगी।

पीठ ने वरिष्ठ वकील वी गिरि को इस मामले में मदद के लिए न्यायमित्र नियुक्त किया कि क्या कोरोना अग्रिम जमानत देने का आधार हो सकता है। शीर्ष अदालत उत्तर प्रदेश सरकार की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय के 10 मई के आदेश को चुनौती दी गई है।

उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस आरोपित (प्रतीक जैन) के विरुद्ध 130 मामले लंबित हैं। उसे जनवरी, 2022 तक अग्रिम जमानत दी गई है। इस पर पीठ ने कहा, हम समझते हैं कि अदालत द्वारा जारी किए गए व्यापक निर्देश से आप परेशान हैं। हम इस मामले में नोटिस जारी करेंगे।

शीर्ष अदालत ने आरोपित से जवाब मांगा और कहा कि यदि वह सुनवाई की अगली तारीख पर पेश नहीं होता है तो कोर्ट उसकी जमानत रद करने पर विचार कर सकता है।

यह कहा था हाई कोर्ट ने

उच्च न्यायालय ने कहा था, यदि कोई आरोपित नियंत्रण से परे किन्हीं कारणों से मर जाता है, जबकि उसे अदालत मौत से बचा सकती थी, तो ऐसे में उसे अग्रिम जमानत से इन्कार करना व्यर्थ कवायद होगी। इसलिए कोरोना वायरस की इस वर्तमान महामारी जैसे कारणों से मौत की आशंका निश्चित ही आरोपित को अग्रिम जमानत देने का आधार हो सकती है।


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