Move to Jagran APP

सुप्रीम कोर्ट ने भीख मांगने को अपराध मानने पर केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब, याचिका में दी गई यह दलील

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चार राज्यों से भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से निकालने के लिए आदेश देने की याचिका पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। जिन राज्यों से जवाब मांगा गया है उनमें महाराष्ट्र और गुजरात भी शामिल हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 10 Apr 2021 08:00 PM (IST)Updated: Sun, 11 Apr 2021 12:19 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने भीख मांगने को अपराध मानने पर केंद्र और राज्यों से मांगा जवाब, याचिका में दी गई यह दलील
सुप्रीम कोर्ट ने भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से निकालने के लिए याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है।

नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चार राज्यों से भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से निकालने के लिए आदेश देने की याचिका पर तीन हफ्ते में जवाब मांगा है। जिन राज्यों से जवाब मांगा गया है उनमें महाराष्ट्र और गुजरात भी शामिल हैं। शीर्ष न्यायालय में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में लिखा है कि दस फरवरी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किए गए थे लेकिन केवल बिहार ने इस बाबत जवाब दाखिल किया।

loksabha election banner

केंद्र और बाकी राज्यों ने इसमें लापरवाही की। शुक्रवार को जारी अंतरिम आदेश में तीन हफ्ते में केंद्र और बाकी राज्यों को जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। मामले की अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी। मेरठ निवासी विशाल पाठक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में केंद्र सरकार, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा और बिहार से जवाब मांगा था।

याचिका में दावा किया गया है कि भीख मांगने को अपराध के दायरे में लेने का फैसला संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन है। याचिका में अगस्त 2018 में दिल्ली हाईकोर्ट के उस फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया था।

हाईकोर्ट ने मुंबई में लागू भिक्षाटन रोकथाम अधिनियम 1959 को संविधान की मान्यताओं के अनुरूप नहीं माना है। यह अधिनियम भीख मांगने को अपराध मानता है। याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता एचके चतुर्वेदी ने कहा कि भीख मांगने को अपराध मानने वाले सभी आदेश संविधान के आर्टिकल 21 (जीवन का अधिकार) का उल्लंघन हैं। कोई व्यक्ति अगर भूख लगने पर भीख मांगकर खाना खाता है और अपना जीवन बचाता है तो उसे अपराध नहीं कहा जा सकता।

याचिका में 2011 की जनगणना का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि उसके अनुसार देश में 4,13,670 भिखारी हैं। आर्थिक असमानता के चलते यह संख्या अब और बढ़ गई होगी। अगर देश को भिखारियों से निजात दिलानी है तो सरकार को सामाजिक सुरक्षा कानून लागू करना चाहिए जिससे हर व्यक्ति को भोजन और अन्य जरूरी खर्चो के लिए आर्थिक सहायता मिल सके।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.