सुप्रीम कोर्ट ने टीआरपी हेराफेरी मामले में रिपब्लिक मीडिया समूह से कहा, बॉम्बे हाईकोर्ट में दाखिल करें याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने टीआरपी हेराफेरी मामले में रिपब्लिक मीडिया समूह से कहा है कि वह मुंबई पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर के मसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी को उच्च न्यायालयों पर भरोसा रखना चाहिए।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने टीआरपी हेराफेरी मामले में रिपब्लिक मीडिया समूह से कहा है कि वह मुंबई पुलिस की ओर से दर्ज की गई एफआइआर के मसले पर बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाए। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कहा कि हम सभी को उच्च न्यायालयों (High Courts) पर भरोसा रखना चाहिए। रिपब्लिक मीडिया समूह (Republic Media Group) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने पैरवी की। उन्होंने मामले में चल रही जांच को लेकर शीर्ष अदालत के समक्ष संदेह जताया था।
इस पर जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड, जस्टिस इंदू मल्होत्रा और न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी की पीठ ने कहा कि आपके मुवक्किल का मुंबई में ही कार्यालय है। कोरोना संकट के दौर में भी बॉम्बे हाईकोर्ट काम करता रहा है। ऐसे में आप बंबई हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं। हालांकि शीर्ष अदालत ने परोक्ष रूप से मुंबई पुलिस के रवैये पर भी चिंता जताई। अदालत ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि बीते कुछ समय से पुलिस आयुक्तों के इंटरव्यू देने का चलन शुरू हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाईकोर्ट जाने के सुझाव के बाद साल्वे ने याचिका वापस ले ली। बता दें कि मुंबई पुलिस ने कथित टीआरपी हेरफेर मामले में एक मामला दर्ज किया है। बीते दिनों मुंबई के पुलिस आयुक्त ने कहा था कि रिपब्लिक टीवी सहित तीन चैनलों ने कथित तौर पर टीआरपी के साथ हेराफेरी की। यह केस उस समय सामने आया जब टीआरपी का आकलन करने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च समूह के जरिए शिकायत दर्ज कराई।
सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के स्वामित्व वाली आर्ग आउटलायर मीडिया प्रा लि ने दाखिल की थी। याचिका में पुलिस के समन को रद करने की गुजारिश की गई थी। वहीं मुंबई पुलिस ने भी सुप्रीम कोर्ट में एक हलाफनामा दाखिल किया था। पुलिस ने रिपब्लिक मीडिया समूह की याचिका को खारिज करने की गुहार लगाई थी। पुलिस का कहना था कि याचिकाकर्ता मामले की जांच रद कराने के लिए अनुच्छेद 19 (1)(ए) की आड़ नहीं ले सकता है।