SC ने गौरी लंकेश और कलबुर्गी हत्याकांड के बीच संबंध पर CBI से मांगा जवाब
कोर्ट ने सीबीआई से कलबुर्गी की हत्या और गौरी लंकेश, नरेंद्र दाभोलकर व गोविंद पंसारे की हत्याओं के बीच कोई भी लिंक होने की आशंका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने एम एम कलबुर्गी हत्याकांड मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। कोर्ट ने सीबीआई से कलबुर्गी की हत्या और गौरी लंकेश, नरेंद्र दाभोलकर व गोविंद पंसारे की हत्याओं के बीच कोई भी लिंक होने की आशंका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
बता दें कि कर्नाटक पुलिस ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि पत्रकार गौरी लंकेश और तर्कवादी एमएम कलबुर्गी की हत्या के मामलों के बीच कुछ तो संबंध प्रतीत होता है। राज्य की पुलिस ने शीर्ष अदालत को यह भी बताया कि कलबुर्गी की हत्या मामले में वह तीन महीने के भीतर आरोप पत्र पेश करेगी। एम एम कलबुर्गी की हत्या के मामले में कलबुर्गी की पत्नी उमा देवी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।
गौरतलब है कि कर्नाटक में पत्रकार गौरी लंकेश हत्याकांड की जांच में महत्वपूर्ण तथ्य उजागर हुआ था। उनकी हत्या उसी पिस्तौल से हुई, जिससे नस्लभेद विरोधी एमएम कालबुर्गी मारे गए थे। यह जानकारी राज्य की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी की जांच में सामने आई थी।
एक ही गोली से हुई थी गौरी लंकेश और कलबुर्गी की हत्या
कलबुर्गी (77) की धारवाड़ स्थित उनके घर में 30 अगस्त, 2015 को गोली मारकर हत्या हुई थी, जबकि गौरी लंकेश की पांच सितंबर, 2017 घर के बाहर गोली मारकर हत्या हुई थी। एसआइटी के सदस्यों ने पूर्व में एक ही बंदूक से दोनों हत्याएं किए जाने पर शक जाहिर किया था। लेकिन इसकी पुष्टि पहली बार हुई है। अब दोनों घटनाओं के पीछे किसी एक गिरोह का हाथ होने का शक है। दोनों ही हत्याओं में 7.65 एमएम कैलीबर वाली देशी पिस्टल से फायर किए गए। उसकी फायरिंग पिन के कारतूस पर समान निशान को देखते हुए यह पुष्टि की गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को लगाई फटकार
इससे पहले कर्नाटक के धारवाड में एमएम कलबुर्गी की हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से कहा था कि अब तक अब तक जांच में कुछ नहीं हुआ। दो हफ्ते में राज्य सरकार से स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल कर बताने को कहा कि जांच कब तक पूरी होगी? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस पीआईएल की निगरानी के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में भेज सकते हैं।