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जज बनने की प्रतिस्पर्धा में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन आमने-सामने, जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) का प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश नियुक्त करने पर विचार किए जाने के अनुरोध पर विभिन्न बार एसोसिएशनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 13 Jun 2021 09:19 PM (IST)Updated: Sun, 13 Jun 2021 10:52 PM (IST)
जज बनने की प्रतिस्पर्धा में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट बार एसोसिएशन आमने-सामने, जानें क्या है पूरा मामला
जज बनने की एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है, जिसमें देश की विभिन्न बार एसोसिएशन आमने-सामने आ गई हैं।

 नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) का प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एनवी रमना को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश नियुक्त करने पर विचार किए जाने के अनुरोध पर विभिन्न बार एसोसिएशनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। इससे जज बनने की एक नई प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है, जिसमें देश की विभिन्न बार एसोसिएशन आमने-सामने आ गई हैं। हाई कोर्ट बार एसोसिएशनों ने न सिर्फ प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर एससीबीए के अनुरोध को खारिज करने की मांग की, बल्कि कुछ ने तो हाई कोर्ट के वकीलों को सुप्रीम कोर्ट का न्यायाधीश नियुक्त करने पर विचार करने का भी सीजेआइ से आग्रह किया है।

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उच्च न्यायालयों की बार एसोसिएशनों ने एससीबीए के प्रस्ताव पर उठाई आपत्ति

कलकत्ता हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, दिल्ली हाई कोर्ट बार एसोसिएशन, एडवोकेट एसोसिएशन बेंगलुरु तो खुलकर सामने आ गई हैं। हाई कोर्ट बार एसोसिएशनों ने एससीबीए के पत्र में सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को हाई कोर्ट के वकीलों से ज्यादा काबिल बताए जाने पर भी कड़ा एतराज जताया है। उधर एससीबीए अध्यक्ष विकास ¨सह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि सीजेआइ को भेजे पत्र में प्रयोग किए गए शब्दों के पीछे मंशा वकीलों के नामों पर विचार करने का पारदर्शी और ठोस तंत्र बनाने पर जोर देना था। उसमें हाई कोर्ट के वकीलों पर आक्षेप लगाने का कोई इरादा नहीं था।

इस तरह शुरू हुआ विवाद

31 मई को एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने सीजेआइ एनवी रमना को एसोसिएशन की ओर से चिट्ठी लिखकर सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले को विभिन्न उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश नियुक्त करने पर विचार करने का आग्रह किया। सिंह ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के वकीलों के पास हर तरह के केस व कानूनों का विस्तृत अनुभव होता है। लेकिन हाई कोर्ट कोलेजियम उनके नामों पर बहुत कम ही विचार करता है।

प्रोफेशनली हाई कोर्ट के सहयोगियों से ज्यादा काबिल और मेधावी होने के बावजूद उन्हें विचार के दायरे में आने का मौका नहीं मिलता। नियुक्ति के लिए पारदर्शी स्थाई तंत्र होना चाहिए, जिसमें एससीबीए उपयुक्त उम्मीदवारों की पहचान करके एक लिस्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपे और प्रधान न्यायाधीश उन नामों की सूची उच्च न्यायालयों के कोलेजियम को विचार के लिए भेज सकते हैं।

एससीबीए ने सुप्रीम कोर्ट के वकीलों को हाई कोर्ट में जज बनाने पर विचार करने का किया अनुरोध

एससीबीए ने इसके बाद आठ जून को अपने सदस्यों को संबोधित पत्र जारी किया, जिसमें कहा कि सीजेआइ उनके अनुरोध से सहमत हो गए हैं। यह भी कहा कि एससीबीए की कार्यकारी समिति ने एक सर्च कमेटी गठित कर दी है, जो सुप्रीम में वकालत करने वाले योग्य वकीलों को न्यायाधीश नियुक्त करने के लिए चिह्नित करेगी। एससीबीए के इस कदम पर देश की विभिन्न बार एसोसिएशनों ने तीखी प्रतिक्रिया दी। हाई कोर्ट बार एसोसिएशनों ने एससीबीए के प्रस्ताव के विरोध में प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर आपत्ति जताई और प्रस्ताव खारिज करने का अनुरोध किया।


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