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उत्तराखंड आपदा को चारधाम परियोजना से जोड़ने के आरोपों का जवाब देगी सरकार, सुप्रीम कोर्ट से मांगा दो हफ्ते का वक्‍त

केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में हाल में आई आपदा को चारधाम सड़क परियोजना से जोड़ने के आरोपों को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांग लिया है। कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 17 Feb 2021 09:31 PM (IST)Updated: Wed, 17 Feb 2021 09:31 PM (IST)
उत्तराखंड आपदा को चारधाम परियोजना से जोड़ने के आरोपों का जवाब देगी सरकार, सुप्रीम कोर्ट से मांगा दो हफ्ते का वक्‍त
केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में हाल में आई आपदा के मामले में सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा है।

नई दिल्ली, जेएनएन। केंद्र सरकार ने उत्तराखंड में हाल में आई आपदा को चारधाम सड़क परियोजना से जोड़ने के आरोपों को नकारते हुए सुप्रीम कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांग लिया है। कोर्ट ने अनुरोध स्वीकार करते हुए सरकार को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दे दिया है। उच्चाधिकार प्राप्त समिति के अध्यक्ष रवि चोपड़ा ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर हाल में उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से आई बाढ़ आपदा को चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना से जोड़ा है और परियोजना के मौजूदा स्वरूप को हिमालय के पारिस्थितिक संतुलन के प्रति चिंतनीय बताया है।

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चोपड़ा ने सरकार को भी पत्र भेजा है। चारधाम सड़क चौड़ीकरण का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। बुधवार को यह मामला जस्टिस आरएफ नरीमन की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष लगा था। केंद्र सरकार की ओर से पेश अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि लगाए गए आरोप ठीक नहीं हैं। प्रस्तावित चारधाम सड़क चौड़ीकरण परियोजना में सभी मौसमों में चारधाम से संपर्क बनाए रखने का लक्ष्य है। परियोजना करीब 900 किलोमीटर की है।

इस मामले में रक्षा मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सड़क की चौड़ाई 7.5 मीटर और इसके अलावा दोनों ओर 1.5 मीटर चौड़े शोल्डर रखे जाने का अनुरोध किया है ताकि सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण सीमांत इलाके को जोड़ने वाली सड़क पर सेना और साजो-सामान का आवागमन आसान हो सके।

हालांकि अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने सड़क की चौड़ाई सिर्फ 5.5 मीटर रखने की ही इजाजत दी है। मामला कोर्ट में लंबित रहने के दौरान ही फरवरी के पहले सप्ताह में उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषि गंगा और धौलीगंगा में बाढ़ आ गई थी जिसमें जानमाल का भारी नुकसान हुआ है। साथ ही तपोवन पावर प्रोजेक्ट को भी भारी नुकसान पहुंचा है।


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