सुपरसोनिक विमान में जल्द कर सकेंगे सफर
क्वेस्ट नामक इसकी प्रारंभिक डिजाइन की खूबी है कि इससे बेहद कम शोर उत्पन्न होगा। 2021 में इसकी परीक्षण उड़ान प्रस्तावित है।
नई दिल्ली, जागरण रिसर्च डेस्क। एक्स प्लेन नामक सुपरसोनिक यात्री विमान के निर्माण में जुटी अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इसकी डिजाइन का परीक्षण कर लिया है। नासा के अनुसार एक्स प्लेन के निर्माण की दिशा में यह अहम उपलब्धि है। क्वेस्ट नामक इसकी प्रारंभिक डिजाइन की खूबी है कि इससे बेहद कम शोर उत्पन्न होगा। 2021 में इसकी परीक्षण उड़ान प्रस्तावित है। पहले दो सुपरसोनिक यात्री विमानों टुपोलेव टीयू-144 और कॉनकोर्ड को ऐसी ही खामियों के चलते रिटायर किया गया था।
1,728 किमी/घंटा : एक्स प्लेन की औसत उड़ान रफ्तार होगी
878-926 किमी/घंटा : मौजूदा यात्री विमानों की अधिकतम रफ्तार
लॉकहीड मार्टिन का साथ :
एक्स प्लेन की प्रारंभिक डिजाइन का नाम क्वाइट सुपरसोनिक ट्रांसपोर्ट (क्वेस्ट) है। नासा ने पिछले साल फरवरी में निजी कंपनी लॉकहीड मार्टिन के साथ क्वेस्ट तैयार करने को लेकर समझौता किया था।
शोर होगा कम
क्वेस्ट नासा द्वारा प्रस्तावित लो बूम फ्लाइट डिमॉन्सट्रेशन (एलबीएफडी) तकनीक वाले एक्स प्लेन के प्रायोगिक विमान मॉडल की प्रारंभिक डिजाइन है। क्वेस्ट एलबीएफडी विमान बनाने के सभी तकनीकी लक्ष्यों को पूर्ण करती है। मतलब सुपरसोनिक गति में उड़ान भरना और सुपरसोनिक बूम या इंजनों द्वारा अत्यधिक शोर की अपेक्षा कम शोर उत्पन्न करना। नासा और लॉकहीड मार्टिन के अफसरों ने इस पर सहमति जता दी है।
प्रायोगिक विमान से जुटाएगा जानकारी :
नासा भविष्य में एलबीएफडी प्रायोगिक विमान को अमेरिका या अन्य देशों के आबादी वाले स्थानों पर उड़ाकर इससे निकलने वाले शोर के संबंध में जरूरी जानकारी जुटाएगा। पिछले महीने नासा ने आठ गुणे छह फुट की सुपरसोनिक विंड टनल में क्वेस्ट के डिजाइन वाले मॉडल का परीक्षण पूरा किया।
2018 में शुरू होगा निर्माण :
इस साल के अंत तक नासा सिंगल इंजन सुपरसोनिक एक्स प्लेन के निर्माण के लिए आवेदन पत्र मंगाने की प्रक्रिया शुरू करेगा। 2018 की शुरुआत में इसके निर्माण का ठेका देने की योजना है। 2021 में इसकी परीक्षण उड़ान प्रस्तावित है।
पहले दो विमानों में थी खामियां :
टुपोलेव टी-144 :
यह दुनिया का पहला सुपरसोनिक यात्री विमान था। सोवियत संघ द्वारा बनाए इस विमान ने 55 यात्री उड़ानें व 47 कार्गो उड़ान भरी। यह 1975 से 1983 तक सेवा में रहा। अधिकतम रफ्तार दो हजार किमी/घंटा थी।
कॉनकोर्ड :
इसे ब्रिटेन और फ्रांस ने मिलकर बनाया। अधिकतम रफ्तार 2,180 किमी/घंटा थी। यह 1976 से 2003 तक सेवा में रहा। अत्यधिक शोर, ईंधन की ज्यादा खपत और दुर्घटनाएं इसको हटाए जाने की बड़ी वजहें रहीं।