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...तो क्‍या फिर बदल जाएंगे भारतीय राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के ये शब्‍द!

लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का कहना है कि जब भी संपूर्ण वंदे मातरम् गाया जाता है, इसमें तो त्रुटि होती है जो नहीं होनी चाहिए।

By Tilak RajEdited By: Published: Wed, 27 Sep 2017 10:25 AM (IST)Updated: Wed, 27 Sep 2017 01:37 PM (IST)
...तो क्‍या फिर बदल जाएंगे भारतीय राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के ये शब्‍द!
...तो क्‍या फिर बदल जाएंगे भारतीय राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम' के ये शब्‍द!

इंदौर, अभिषेक चेंडके। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय की रचना 'वंदे मातरम्' के कुछ शब्द बदलने पर जोर दिया है। इंदौर के गांधी हॉल में शनिवार को संसदीय कार्य मंत्रालय की चित्रकला प्रदर्शनी के दौरान गायिका ने संपूर्ण वंदे मातरम्.. गाया तो महाजन ने अपने भाषण में कहा कि अब सप्त कोटि कंठ के बजाय कोटि-कोटि कंठ शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए। उनका आशय आज के भारत की आबादी से था।

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जब गीत लिखा गया था, तब भारत की आबादी मात्र 7 करोड़ थी। इसके बाद गायिका ने ताई से माफी मांगते हुए भविष्य में इस बात का ध्यान रखने की बात कही। कई आयोजनों की शुरुआत में राष्ट्रगीत 'वंदे मातरम्..' भी गाया जाता है। इसे लेकर अकसर विवाद भी उठते रहे हैं। वर्ष 1905 में वाराणसी में हुए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में वंदे मातरम् गाया गया था। कुछ मुस्लिम संगठन इस पर आपत्ति भी जता चुके हैं। अब लोकसभा स्पीकर ने राष्ट्रगीत के कुछ शब्दों में बदलाव का जिक्र कर फिर ध्यान खींचा है।

संपूर्ण वंदे मातरम् गाने पर होती है त्रुटि
लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन का कहना है, 'जब भी संपूर्ण वंदे मातरम् गाया जाता है तो त्रुटि होती है। अब हम सप्त कोटि (सात करोड़) के आगे निकल गए हैं। कोटि-कोटि हो गए हैं, इसलिए गाते समय भी कोटि-कोटि शब्द बोला जाना चाहिए। जिस भारत मां के लिए गा रहे हैं, अब उसका आज का खाका भी देखने की जरूरत है। इसलिए 'सप्त कोटि' शब्द समसामयिक नहीं रहा।'

गीत की रचना के समय सात करोड़ थी देश की आबादी
वहीं संस्कृत साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने कहा कि वर्ष 1882 में प्रकाशित बंकिमचंद्र के प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ में वंदे मातरम् रचना शामिल थी। गीत जब लिखा गया था तो देश की आबादी सात करोड़ थी, इसलिए सप्तकोटि कंठ कल-कल निनाद कराले, (सात करोड़ कंठों की जोशीली आवाज) द्विसप्त कोटि-भुजै धृत खरकरवाले (14 करोड़ भुजाओं में तलवारों को धारण किए हुए) लाइन में तब की आबादी का जिक्र किया गया था।

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