Move to Jagran APP

पहले इंटरसेप्टर फिर ब्रह्मोस और अब हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण से देश के सामरिक मोर्चे को खासी मजबूती

Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle भारत अगले पांच साल में पहली हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर सकता है जिसकी गति ध्वनि की रफ्तार से छह गुना अधिक होगी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 14 Sep 2020 09:16 AM (IST)Updated: Mon, 14 Sep 2020 11:29 AM (IST)
पहले इंटरसेप्टर फिर ब्रह्मोस और अब हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण से देश के सामरिक मोर्चे को खासी मजबूती
पहले इंटरसेप्टर फिर ब्रह्मोस और अब हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण से देश के सामरिक मोर्चे को खासी मजबूती

शशांक द्विवेदी। Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle भारत ने स्वदेशी हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डिमांस्ट्रेटर व्हीकल (एचएसटीडीवी) का सफलतापूर्वक परीक्षण कर लिया है। अमेरिका, रूस और चीन के बाद ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश बन गया है। देश में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रणाली के विकास को आगे बढ़ाने के लिए यह परीक्षण एक बड़ा कदम है।

loksabha election banner

माना जा रहा है कि इस तकनीक की मदद से अगले पांच साल में भारत अपनी पहली हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर लेगा। यह मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से छह गुना तेज गति से चलती है। इस हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने विकसित किया है, जो हाइपरसोनिक प्रणोदन प्रौद्योगिकी पर आधारित है। इसके कई दूसरे फायदे भी हैं। इससे छोटे सेटेलाइट्स को कम लागत में लांच किया जा सकता है।

वैसे भारत के पास ब्रह्मोस जैसी उन्नत सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल पहले से ही है, जिसके दूसरे संस्करण का भी बीते दिनों परीक्षण हो चुका है। दरअसल क्रूज मिसाइल उसे कहते हैं, जो कम ऊंचाई पर तेजी से उड़ान भर सकती है और इस तरह रडार से बची रह सकती है। भारत के पास जो ब्रह्मोस है, उसकी विशेषता यह है कि उसे जमीन से, हवा से, पनडुब्बी से, युद्धपोत से यानी कहीं से भी दागा जा सकता है। यही नहीं इस मिसाइल को पारंपरिक प्रक्षेपक के अलावा ऊध्र्वगामी यानी कि वर्टकिल प्रक्षेपक से भी दागा जा सकता है। क्रूज मिसाइलों का टारगेट या तो पहले से तय रहता है या फिर वे खुद लोकेट करती हैं। ये मिसाइलें सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक स्पीड से चल सकती हैं।

भारतीय सेना के तीनों अंगों यानी थल सेना, वायु सेना और नौसेना की जरूरतों के हिसाब से ब्रह्मोस मिसाइल के अलग-अलग संस्करण बनाए गए हैं। इसकी रफ्तार 2.8 मैक यानी ध्वनि की रफ्तार से लगभग तीन गुना तेज है। भारत के पास कई बैलिस्टिक मिसाइलें भी हैं। इन्हें सीधे वायुमंडल की ऊपरी परत में छोड़ा जाता है। इसे एयरक्राफ्ट, जहाज या पनडुब्बी से भी छोड़ा जा सकता है। भारत के पास अग्नि, पृथ्वी, के-4,5,6, सूर्या, सागरिका, प्रहार, धनुष जैसी बैलिस्टिक मिसाइलों की एक पूरी खेप है।

हमारे पास इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आइसीबीएम) प्रणाली भी है। आइसीबीएम वे मिसाइलें होती हैं, जिनकी रेंज कम से कम 5,500 किमी होती है। ये अपने साथ परमाणु बम ले जा सकती हैं। बीते दिनों भारत ने बैलिस्टिक मिसाइल हमले को बीच में ही नाकाम करने में सक्षम इंटरसेप्टर मिसाइल का भी सफलतापूर्वक परीक्षण किया। पहले इंटरसेप्टर मिसाइल फिर ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक मिसाइल और अब हाइपरसोनिक मिसाइल के सफल परीक्षण से देश के सामरिक तंत्र को खासी मजबूती मिली है।

(लेखक मेवाड़ यूनिवर्सिटी में डायरेक्टर हैं)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.