जिस स्टार्टअप को बैंकों ने लोन नहीं दिया, आज फोर्स और रेलवे के लिए बना सुरक्षा का वरदान
आज इस स्टार्टअप का टर्नओवर साढ़े तीन करोड़ रुपये है। इसने छत्तीसगढ़ को ऐसी पहचान दी है जिसका लोहा पूरा देश मान रहा है।
रायपुर [दीपक अवस्थी]। इरादे मजबूत हों तो लोहे को भी आसमान में उड़ाया जा सकता है। जब कॅरियर चुनने का वक्त आए तो विवेक से लिया गया फैसला ही मंजिल तक पहुंचाता है। छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर में यूनिवर्सिटी से पास-आउट इंजीनियर पीयूष झा की स्टार्टअप में पाई सफलता यही प्रमाणित करती है। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के चलते ड्रोन बनाने में रूचि थी, लेकिन बैंक लोन नहीं दे रहे थे।
साथी छात्रों की तरह सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किया और छात्रावास अधीक्षक के रूप में चयन हो गया। एक तरफ नौकरी, दूसरी तरफ रूचि। इस अंतर्द्वंद्व से खुद को उबारा और नौकरी का त्याग कर रूचि को चुना। मात्र 45 हजार रुपये से ड्रोन बनाने की शुरुआत करने वाले पीयूष का कारोबार दो साल में ही 3.50 करोड़ तक पहुंच गया है। उनके बनाए ड्रोन की कई प्रदेशों में काफी मांग है।
पीयूष बताते हैं कि स्टार्टअप के लिए उन्होंने कई बैंकों में लोन के लिए आवेदन लगाए थे, लेकिन कोई तैयार नहीं था। काफी मशक्कत के बाद एक बैंक उन्हें 45 हजार रुपये देने को तैयार हुआ। यहीं से उन्होंने शुरुआत की। छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम बिजनेस इनक्यूबेटर एसीआइ 36 इंक के जरिए आज वे सफलता की ओर हैं। पीयूष कहते हैं कि कॅरियर में कई बार ऐसा वक्त आता है, जब आपके लिए फैसला लेना आसान नहीं होता। यहीं आपकी असली परीक्षा होती है।
इनक्यूबेटर एसीआइ 36 इंक के मैनेजर सौरभ चौबे बताते हैं, पीयूष और उनकी टीम के बनाए ड्रोन का बेहतर स्टार्टअप चल रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ-साथ तीन अन्य राज्यों में अब तक ढाई सौ ड्रोन सप्लाई कर चुके हैं। यह सफलता लगातार बढ़ती जाएगी, इसका पूरा भरोसा है।
अब तक ढाई 250 ड्रोन तैयार कर चुके हैं
पीयूष ने बताया कि उन्होंने अपने साथ 12 युवाओं को जोड़कर एक टीम तैयार की है। रेलवे ने पटरियों की निगरानी के लिए ड्रोन तैयार करने का काम सौंपा है। बिहार, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ में तैनात सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्टेट पुलिस ने सुरक्षा को ध्यान में रखते उन्हें ड्रोन बनाने का जिम्मा दिया है। नक्सल इलाकों के लिए उनके बनाए ड्रोन वरदान साबित हो रहे हैं। अब तक करीब ढाई सौ ड्रोन वे तैयार कर विभिन्न् प्रदेशों को भेज चुके हैं।
ड्रोन के पार्ट्स खरीदने के लिए मिली विशेष अनुमति
पीयूष ने बताया कि ड्रोन बनाने के लिए जरूरी पार्ट्स में शामिल छोटे लैंस वाले कैमरे आदि विदेशों से मंगवाने पड़ते हैं। ड्रोन निर्माण के कई पार्ट्स पर कस्टम की रोक है। ऐसे में बीएसएफ और सीआरपीएफ की विशेष अनुमति से वे ड्रोन बनाने के जरूरी पार्ट्स विदेशों से मंगवा रहे हैं।
मकसद छत्तीसगढ़ को ड्रोन का हब बनाना
पीयूष कहते हैं कि उनका मकसद छत्तीसगढ़ को ड्रोन का हब बनाना है। राज्य सरकार की विशेष अनुमति से वे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के पांच छात्रों को ड्रोन बनाना सिखा रहे हैं। हमारी तैयारी ऐसे ड्रोन बनाने की भी है, जो 20 से 25 किलो तक वजन उठाकर उड़ सके। इससे खेती में कीटनाशकों के छिड़काव में मदद मिलेगी। इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण काम ऐसे ड्रोन से हो पाएंगे।
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