सक्सेस मंत्र: इनोवेशन है नये दौर की मांग, यहां लें आउट आफ बाक्स सोच से आगे बढ़ने की प्रेरणा
विरोध के बावजूद डटे रहना काबिल टीम के साथ समस्या का समाधान निकालना आउट आफ बाक्स सोच से आगे बढ़ने की प्रेरणा इन्हीं सब बातों पर ध्यान देतेे हुए बेंगलुरु स्थित ‘नोब्रोकर डाट काम’ के सह-संस्थापक एवं सीईओ अमित कुमार अग्रवाल ने सक्सेस मंत्र पर प्रकाश डाला।
अंशु सिंह। स्टार्टअप का मुख्य उद्देश्य होता है किसी समस्या का समाधान। भारत के रियल एस्टेट बाजार में ब्रोकरेज बड़ी समस्या रही है। बेंगलुरु स्थित ‘नोब्रोकर डाट काम’ के सह-संस्थापक एवं सीईओ अमित कुमार अग्रवाल ने अपने प्लेटफार्म के माध्यम से लोगों को ब्रोकर फ्री आशियाना दिलाने का बड़ा फैसला लिया और उसमें काफी हद तक कामयाब रहे। अब यह रियल एस्टेट प्लेटफार्म से वन स्टाप शाप बन चुका है। यहां घरों की लिस्टिंग के साथ ही मूवर्स एंड पैकर्स को हायर करने, होम लोन लेने, पेंटिंग एवं क्लीनिंग सर्विस, लीगल सर्विस, रेंट पेमेंट आदि की सुविधा भी उपलब्ध है। हाल ही में इसने २१० मिलियन डालर (1575 करोड़ रुपये) जुटाए हैं। टाइगर ग्लोबल, मूर स्ट्रेटेजिक वेंचर्स एवं जनरल अटलांटिक ने कंपनी में निवेश किया है। इसके बाद यह देश का पहला प्रापर्टी टेक यूनिकार्न बन गया है। अमित के अनुसार, इनके १५ मिलियन से अधिक रजिस्टर्ड यूजर्स हैं। वह मानते हैं कि जब आपके पास किसी समस्या का हल होगा, तो ग्राहक भी जरूर मिलेंगे। जैसे कोरोना काल में जब शहरों में लाकडाउन रहा और प्रापर्टी की खरीद-बिक्री या उसे किराये पर लेने की प्रक्रिया धीमी रही, तब हमने वीडियो वाकथ्रू एवं वर्चुअल मीट की सुविधा शुरू की। इससे ग्राहकों में विश्वास उत्पन्न हुआ और तमाम चुनौतियों के बीच हम आगे बढ़ते रहे।
आइआइटी कानपुर एवं आइएमएम अहमदाबाद से शिक्षा-दीक्षा लेने के बाद अमित अग्रवाल ने आठ वर्ष प्राइस वाटर कूपर्स के बैंकिंग एवं फाइनेंशियल सर्विसेज वर्टिकल में कार्य किया। इस दौरान उन्हें देश-विदेश के शीर्ष बैंकों को उनकी बिजनेस स्ट्रेटेजी एवं मुनाफा बढ़ाने के तरीकों पर कंसल्टेंसी देने का अवसर मिला। उन्होंने कंसल्टिंग टीम्स का न सिर्फ नेतृत्व किया, बल्कि सीएक्सओ के साथ सीधे तौर पर काम करने का अनुभव भी हासिल किया। इससे सीखने को तो मिला ही, सराहना भी काफी मिली। तत्पश्चात् उन्हें एएनजेड बैंक के स्ट्रेटेजी हेड की जिम्मेदारी मिली। बताते हैं अमित,‘मैं ग्राहकों की मूल समस्याओं को सुलझाना चाहता था, इसलिए उद्यमिता में आने का निर्णय लिया। दरअसल, मेरा ब्रोकर्स के साथ बेहद खराब अनुभव रहा है। सिर्फ समय की बर्बादी हुई। सलीके का कोई फ्लैट नहीं मिला। जब बाजार में मौजूद रियल एस्टेट प्लेयर्स की जानकारी ली, तो पता चला कि कोई भी ब्रोकर फ्री समाधान देने को इच्छुक नहीं। ब्रोकर्स ग्राहकों से दो-तीन महीने का ब्रोकरेज लेते हैं। इतनी बड़ी रकम लेने के एवज में वे कस्टमर्स को गलत सूचना या धमकी तक देने से नहीं हिचकते। इसके बाद ही मैंने इस कमी को दूर करने का फैसला किया और २०१३ में नींव पड़ी नोब्रोकर की। यह मेरा पहला वेंचर है। अपने प्लेटफार्म के जरिये हम लोगों को बिना ब्रोकरेज शुल्क लिए फ्लैट उपलब्ध कराते हैं। कुछ समय पहले हमने एनआरआइ कस्टमर्स के लिए प्रापर्टी मैनेजमेंट सर्विस भी लांच की है, जिसमें हम उनकी प्रापर्टी को न सिर्फ रेंट पर लगाते हैं, बल्कि उसकी मरम्मत आदि की जिम्मेदारी भी संभालते हैं। अगर मकान कुछ महीने खाली भी रहा, तो ओनर को हमारी ओऱ से रेंट मिलता रहता है।‘
विरोध के बावजूद डटे रहे
रियल एस्टेट का क्षेत्र काफी असंगठित है। बहुत सारे बेनामी ट्रांजैक्शंस होते हैं। अमित ने बताया कि किसी भी बिजनेस की सस्टेनेबिलिटी समस्या या चुनौती का समाधान निकालने पर निर्भर करती है। जब हमने शुरुआत की थी, तो कोई भी बिना ब्रोकर के काम करने को राजी नहीं था। यह कल्पना से परे था। शुरू में उन्हें भी ब्रोकर समुदाय से कई प्रकार के विरोध का सामना करना पड़ा। लोग उनके आइडिया को लेकर आश्वस्त नहीं हो पा रहे थे। लेकिन वह न डरे और न हारे। वह कहते हैं, ‘जब आपका अप्रोच सही हो, तो ग्राहक एवं निवेश दोनों मिल जाते हैं। न हम तब हारे थे और न अब। महामारी के दौर में इस क्षेत्र में काफी उथल-पुथल हुए। लेकिन मैं मानता हूं कि रेंटल स्पेस में धीरे ही सही स्थायित्व आ रहा है। इससे बाजार में कारोबार की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। विभिन्न शहरों में ग्राहकों की मांग में बढ़ोत्तरी भी इसकी पुष्टि करता है।‘
काबिल टीम के साथ निकाला समस्या का समाधान
अमित बताते हैं कि अपने वेंचर के जरिये हम असंगठित होम रेंटल सेगमेंट में परिवर्तन लाना चाहते थे। इसलिए ऐसे लोगों की टीम में जरूरत थी, जो सक्रिय होने के साथ ही हल निकालना जानते हों। टीम चयन करने की प्रक्रिया बेहद कठिन एवं लंबी होती है। हमने काफी मेहनत से टीम बनाई, जो हमारे उद्देश्यों एवं लक्ष्य से सहमति रखते हों। मैं खुद को खुशनसीब मानता हूं कि अच्छे, टैलेंटेड लोगों को जोड़ सका। यहां वे स्वयं के साथ कंपनी के विकास पर पूरा ध्यान देते हैं।‘ इनकी मानें तो अगर अपनी शक्तियों की जगह कमजोरियों पर ध्यान दिया जाए औऱ उन कमियों को सुधारने पर काम किया जाए, तो परिणाम सार्थक निकल सकते हैं। जैसे, आज हर कोई अपना काम शुरू करना चाह रहा। लेकिन जब भी कोई आइडिया आए, तो पहले देखें कि क्या वह किसी समस्या का हल बन सकता है या नहीं? बिजनेस को आगे बढ़ाने के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है। आपके पास चाहे जितनी पूंजी हो, लेकिन कंपनी को जितने किफायत से चला सकेंगे, उतना अच्छा रहेगा।
आउट आफ बाक्स सोच से बढ़ें आगे
आज वह दौर है जब कंपनियों को लंबी पारी खेलने के लिए अपनी स्ट्रेटेजी से लेकर सर्विसेज में नित नये प्रयोग करने पड़ रहे हैं। अमित कहते हैं, ‘हमारी जीवनचर्या एवं प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं। इसने इंडस्ट्री से जुड़े कारोबारियों को भी आउट आफ बाक्स सोचने पर विवश किया है। प्रापर्टी डीलिंग डिजिटल माध्यम से हो रही है। डिजिटल ट्रांजैक्शंस हो रहे हैं। मकान मालिक भी टेक्नोलाजी का उपयोग कर अपनी प्रापर्टी के वीडियोज अपलोड कर रहे हैं, जिससे प्रापर्टी का साइज, एरिया एवं अन्य जानकारियां आसानी से उपलब्ध हो जा रही हैं। हमने कई प्रकार की इनोवेटिव सर्विस लांच की है। जैसे ‘नोब्रोकरहुड’ एप की मदद से सोसायटीज एवं अपार्टमेंट्स की सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी की जा सकती है। इस एप से लोग ग्रोसरी आदि भी आर्डर कर सकते हैं। इसके लिए हमने आइटीसी एवं बिगबास्केट से टाइअप किया है। आरोग्य सेतु एप से जुड़े होने के कारण हमें कोरोना से जुड़ी जानकारी भी इसी से मिल जाती है।