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कर्नाटक हिजाब विवाद: अपनी मांग पर अड़ीं कालेज की छात्राएं

कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी जिले के सरकारी महिला कालेज की छह छात्राओं ने कालेज विकास समिति के सुझाव को मानने से इन्कार कर दिया है। समिति ने छात्राओं से कहा है कि यदि वे कक्षा में हिजाब (Hizab) पहनना ही चाहती हैं तो आनलाइन क्लास का विकल्प अपना सकती हैं।

By Monika MinalEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 01:18 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 01:18 AM (IST)
कर्नाटक हिजाब विवाद: अपनी मांग पर अड़ीं कालेज की छात्राएं
कर्नाटक हिजाब विवाद: अपनी मांग पर अड़ीं कालेज की छात्राएं (फाइल फोटो)

मंगलुरु, प्रेट्र। कर्नाटक (Karnataka) के उडुपी जिले के सरकारी महिला कालेज की छह छात्राओं ने कालेज विकास समिति के सुझाव को मानने से इन्कार कर दिया है। समिति ने छात्राओं से कहा है कि यदि वे कक्षा में हिजाब (Hizab) पहनना ही चाहती हैं तो आनलाइन क्लास का विकल्प अपना सकती हैं। कालेज अधिकारियों द्वारा कक्षा के भीतर हिजाब पहनने की अनुमति देने से इन्कार करने के बाद छात्राओं ने चार सप्ताह से कक्षा का बहिष्कार कर रखा है।

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उडुपी में गुरुवार को विरोध कर रही छात्राओं ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हिजाब पहनना उनका संवैधानिक अधिकार है और वे आनलाइन कक्षा में शामिल नहीं होना चाहती हैं। यह भेदभावपूर्ण है। बिना हिजाब कक्षा में आने वाली समुदाय की दूसरी लड़कियों के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि आगे पेश आने वाली मुश्किलों के भय से लड़कियां आगे नहीं आ रही हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा और अधिकार दोनों समान रूप से महत्वपूर्ण है।

करीब दस दिन पहले कर्नाटक के पापुलर फ्रंट आफ इंडिया के राज्य महासचिव, नासिर पाशा ने आरोप लगाया था कि यहां के कालेज हिजाब (हेडस्कार्फ) के मुद्दे पर अनावश्यक विवाद पैदा कर रहे हैं जो कि मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का भी उल्लंघन करना है। पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कर्नाटक राज्य महासचिव नासिर पाशा ने राज्य के विभिन्न कालेजों में प्रचलित हिजाब विवादों के बारे में बयान जारी कर कहा कि कुछ कालेज हेडस्कार्फ के विषय पर अनुचित विवाद पैदा कर रहे हैं और मुसलमानों की मौलिक, धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन कर रहे हैं।

नासिर पाशा ने आरोप लगाते हुए कहा था कि उडुपी के सरकारी पीयू कालेज में मुस्लिम समुदाय के 6 छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश से वंचित किया गया और उन्हें बाहर बैठने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्होंने स्कार्फ पहन रखा था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मंगलुरु के ऐकला में पोम्पेई कालेज के कुछ छात्र भगवा शाल पहनकर कालेज आए और हेडस्कार्फ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। पाशा ने कहा कि इसी तरह का विवाद चिकमगलूर के कोप्पा के गवर्नमेंट फर्स्ट क्लास कालेज में गढ़ा गया था।

पाशा ने आगे कहा कि वास्तव में, ड्रेस कोड अनिवार्य रूप से केवल एसएसएलसी तक ही लागू किए जाते हैं। जब पीयू या डिग्री कालेजों में ऐसा कोई अनिवार्य ड्रेस कोड लागू नहीं है, तो यह कहना कि हेडस्कार्फ की अनुमति नहीं है, एक गलत तर्क है। पाशा ने कहा कि कालेज के प्राचार्य द्वारा सिर पर स्कार्फ पहने छात्रों को कक्षाओं में प्रवेश से वंचित करना भी एक अत्यंत अनुचित कदम है।


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