Move to Jagran APP

जिन बच्चों से खिलवाड़ कर रही थी गरीबी, उन्हें पढ़ना सिखा रहे छात्र

यहां बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाती है। कभी फल की दुकान लगाकर बच्चों को जोड़ना-घटाना सिखाया जाता है तो कभी मनोरंजक तरीके से पहाड़े याद करवाते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 19 Mar 2018 10:32 AM (IST)Updated: Mon, 19 Mar 2018 10:32 AM (IST)
जिन बच्चों से खिलवाड़ कर रही थी गरीबी, उन्हें पढ़ना सिखा रहे छात्र
जिन बच्चों से खिलवाड़ कर रही थी गरीबी, उन्हें पढ़ना सिखा रहे छात्र

इंदौर (सुमेधा पुराणिक चौरसिया)। एमबीए की प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रही सृष्टि अग्रवाल दिनभर 8 से 10 घंटे खुद पढ़ती हैं। फिर सीधे पहुंचती हैं बस्ती के बच्चों के पास। यहां उन्हें गणित के बुनियादी सिद्धांत समझाती हैं। इसी तरह एमबीबीएस सेकंड प्रोफ में पढ़ने वाले मोहित माझी सुबह 10 से 5 बजे तक मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई और प्रैक्टिकल के बाद करते हैं मस्ती की पाठशाला का रुख। यहां कमजोर वर्ग के बच्चों को दो घंटे मुफ्त में ट्यूशन देते हैं।

loksabha election banner

अंधेरी दुनिया में शिक्षा का उजियारा फैलाने के ये चंद उदाहरण हैं। ऐसे ही मोनिका जिंदल, अश्मिता शर्मा सहित कई विद्यार्थी खुद अपना भविष्य संवारने के साथ गरीब बच्चों के भी भविष्य की चिंता कर रहे हैं। ये सभी रोज शाम को एमआईजी पुलिस थाने के आसपास की बस्तियों और चाइल्ड हेल्प लाइन में बच्चों को पढ़ाने पहुंचते हैं।

वे 3 से 12 साल तक के बच्चों को उनके स्कूल के कोर्स के अनुसार पढ़ाते हैं। जो बच्चे स्कूल जाने से वंचित हैं, उन्हें बुनियादी शिक्षा दे रहे हैं। बस्ती के बच्चों में पढ़ने की इतनी ललक पैदा हो चुकी है कि वे दीदी और भैया के आने के आधा घंटा पहले ही कॉपी-किताब लेकर पढ़ने बैठ जाते हैं। चाइल्ड लाइन निदेशक वसीम इकबाल कहते हैं 'मस्ती की पाठशाला' में 50 से अधिक बच्चे रोज पढ़ने आते हैं। विद्यार्थियों को शिक्षक के रूप में देखकर बच्चे प्रोत्साहित हो रहे हैं।

बच्चों के संघर्ष को करते हैं महसूस

मोहित बताते हैं हम गरीब बच्चों का दर्द और परेशानी अच्छे से समझते हैं। आज हम भी बहुत संघर्ष करके यहां तक पहुंचे हैं। ऐसे में बच्चों को थोड़ी भी मदद मिलती है तो उन्हें बड़ी राहत मिलती है। कमजोर वर्ग के बच्चों को पढ़ाकर जो संतुष्टि मिल रही है, उसे बयां करना मुश्किल है। सृष्टि बताती हैं इन बच्चों के साथ हम अपनी पढ़ाई का तनाव भूल जाते हैं। बच्चों को पढ़ाकर हम दोगुना ऊर्जा महसूस करते हैं।

खेल-खेल में सीख रहे जोड़-घटाव और पहाड़े

मस्ती की पाठशाला में सबसे खास बात यह है कि यहां बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जाती है। कभी सब्जी या फल की दुकान लगाकर बच्चों को जोड़ना-घटाना सिखाया जाता है तो कभी मनोरंजक तरीके से पहाड़े याद करवाते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.