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ट्रकों और बसों की हड़ताल आज से, जरूरी चीजों की आपूर्ति पर पड़ सकता है असर

रोजाना इस्‍तेमाल की जाने वाली चीजों के दामों पर असर पड़ सकता है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 19 Jul 2018 06:28 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jul 2018 08:33 AM (IST)
ट्रकों और बसों की हड़ताल आज से, जरूरी चीजों की आपूर्ति पर पड़ सकता है असर
ट्रकों और बसों की हड़ताल आज से, जरूरी चीजों की आपूर्ति पर पड़ सकता है असर

नई दिल्ली, जेएनएन। मांगें नहीं माने जाने के विरोध में ट्रक और बस ऑपरेटर 20 जुलाई से चक्का जाम करने पर अड़ गए हैं। देशव्‍यापी हड़ताल से आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई पर असर पड़ सकता है। यह हड़ताल लंबी चली तो रोजाना इस्‍तेमाल की जाने वाली चीजों के दाम बढ़ सकते हैं।

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हालांकि सरकार का कहना है कि ट्रांसपोटर्स को मनाने की कोशिशें जारी हैं। गुरुवार को निर्णायक सहमति बन सकती है। वहीं सभी शहरों में बड़े सप्‍लाई केंद्रों पर बुधवार से ही नई लोडिंग और बुकिंग बंद कर दी गई है। शुक्रवार से करीब 90 लाख ट्रक और 50 लाख बसें सड़क से बाहर हो सकती हैं। ट्रक और बस ऑपरेटरों ने कहा कि इस हड़ताल से रोजाना दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।

काम नहीं आई सरकार की पहल

दो दिन पहले ही ट्रकों की लोडिंग सीमा बढ़ाकर ट्रांसपोटर्स को लुभाने वाली सड़क परिवहन मंत्रालय ने अब दो ड्राइवरों का अनिवार्यता, फिटनेस सर्टिफिकेट, भार वहन सीमा को बढ़ाने की पेशकश की है लेकिन ट्रांसपोटर्स ने साफ कर दिया है कि उनकी हड़ताल डीजल कीमतों, ईवे बिल, थर्ड पार्टी प्रीमियम और टीडीएस जैसे बड़े बदलावों को लेकर है।

डीजल और पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाया जाए

हड़ताल का आह्वान करने वाली ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपॉर्ट कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार ने टोल मुक्त का वादा किया था लेकिन यह वादा तो पूरा नहीं ही किया गया, उलटे डीजल व पेट्रोल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखकर ट्रांसपॉर्टरों के लिए नई मुसीबत खड़ी कर दी है। अब रोजाना डीजल, पेट्रोल के दाम बदल जाते हैं, ऐसे में उनके लिए सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि वे रोज अपने किराए की दरों में बदलाव नहीं कर सकते।

18 जुलाई से ही सामान की बुकिंग बंद

ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपॉर्ट कांग्रेस के उत्तर भारत के उपाध्यक्ष हरीश सब्बरवाल के मुताबिक 20 जुलाई से 90 लाख ट्रक और 50 लाख बसों का चक्का जाम हो जाएगा। इससे पहले 18 जुलाई से ही ट्रक ऑपरेटर सामान की बुकिंग बंद कर दी है। हड़ताल में बड़े ट्रक, बस, टेम्पो और छोटे ट्रक शामिल होंगे और यह हड़ताल अनिश्चितकालीन रहेगी। ट्रक ऑपरेटरों की मुख्य मांग है कि जब सरकार ने वन नेशन वन टैक्स का नारा दिया है तो फिर पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में क्यों नहीं लाया जा रहा। उनकी मुसीबत यह है कि हर राज्य में डीजल की दर अलग-अलग है। ऐसे में उन्हें दिक्कत का सामना करना पड़ता है क्योंकि ट्रक ऑपरेशन में 60 फीसदी लागत डीजल की ही होती है।

टोल वसूली को खत्‍म किया जाए

ट्रांसपॉर्ट कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भीम वाधवा का कहना है कि टोल समाप्त करने के लिए वादा किया गया था। सरकार 365 टोल प्लाजा से हर साल 18 हजार करोड़ रुपये का टोल टैक्स वसूलती है। सरकार का ही आंकड़ा है कि देश भर में टोल पर रुकने की वजह से हर साल 98 हजार करोड़ रुपये का ईंधन और वक्त बर्बाद हो जाता है। ऐसे में ट्रक ऑपरेटर चाहते हैं कि अगर सरकार डीजल पर ही एक रुपये टोल के नाम पर ले ले तो इससे उसे 18 हजार करोड़ से कई गुना अधिक राशि भी मिल जाएगी और टोल वसूलने के लिए उसे खर्च भी नहीं करना पड़ेगा।

इंश्‍यारेंस से जीएसटी को हटाया जाए

ट्रक ऑपरेटरों की तीसरी मांग थर्ड पार्टी इंश्योरेंस को लेकर है। उनका कहना है कि हर साल इंश्योरेंस का प्रीमियम अनाप-शनाप बढ़ा दिया जाता है। उस पर सरकार ने नमक छिड़कते हुए प्रीमियम पर 18 फीसदी जीएसटी लगा दिया है। अगर इंश्योरेंस जनहित में है तो फिर इस पर जीएसटी क्यों लगाया जा रहा है? 


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