आंकड़ों में छिपी है कोरोना वायरस से मुकाबले की रणनीति, आइए समझें इसका गणित
COVID-19 दुनिया में कोरोना संक्रमण के पुष्ट मामलों में भारत का स्थान 17वां है। प्रति व्यक्ति देखें तो यह संकट कम गंभीर है।
नई दिल्ली, जेएनएन। COVID-19: कोरोना महामारी के कारण दुनिया में 25 लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। वहीं दूसरी ओर इसके कारण जान गंवाने वाले लोगों की संख्या एक लाख 78 हजार से ज्यादा हो चुकी है। भारत में लॉकडाउन का एक महीना आज पूरा हो रहा है। दस से बीस हजार मामलों तक पहुंचने में आठ दिन यहां लगे हैं। ऐसे में आंकड़ों पर गौर करके ही बेहतर रणनीति तैयार की जा सकती है। प्रति दस लाख मामले, मृत्यु दर, महामारी से लड़ कर वापसी करने वाले लोगों के ग्राफ से इसे आसानी से समझा जा सकता है। पेश है यह रिपोर्ट:
प्रति दस लाख लोगों पर मामले : दुनिया में कोरोना संक्रमण के पुष्ट मामलों में भारत का स्थान 17वां है। प्रति व्यक्ति देखें तो यह संकट कम गंभीर है। अप्रैल 22 को भारत में प्रति दस लाख लोगों पर 15 मामलों की पुष्टि हुई है। वहीं पर अमेरिका में यह आंकड़ा 2475 पहुंच गया है। पश्चिमी देशों में स्थिति ज्यादा गंभीर कुल मामलों की तुलना में पुष्ट मामलों की संख्या कम है। इसका मुख्य कारण टेस्ट कम होना है।
मृत्यु दर : विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड-19 से मरने वाले लोगों की दर यह सही तरह से नहीं बताती है कि यह महामारी कितनी मारक है और यह कितनी तेजी से अपना प्रसार कर रहा है। कई मामले तो सामने ही नहीं आ पाते हैं। इसके साथ ही मृत्यु दर कई और कारकों पर भी निर्भर करती है, जिसमें इलाज की सुविधाएं, अलग-अलग स्थान और संक्रमित लोगों की जनसांख्यिकी शामिल है।
आयु अनुसार जनसंख्या वितरण : कोविड-19 के खतरे का बुजुर्गों के लिए किया गया मूल्यांकन सुझाता है कि जिन देशों में बुजुर्गों की संख्या ज्यादा है वहां पर इसका ज्यादा असर हो सकता है। हालांकि यह अनुमान जापान के लिए आवश्यक रूप से सही नहीं है। पश्चिमी यूरोपीय देशों में जहां पर भारत और चीन की तुलना में ज्यादा बुजुर्ग लोग हैं, कोविड-19 का केंद्र बना हुआ है।
हर पॉजिटिव मामले के लिए इतने टेस्ट : आधिकारिक रूप से पॉजिटिव मामलों की सही संख्या बताने के लिए अकेला माध्यम टेस्ट है। हालांकि टेस्ट करने की धीमी प्रक्रिया के चलते कई विकसित देशों में विवाद की स्थिति बन चुकी है। हर पॉजिटिव मामला दो चीजों की ओर इशारा कर सकता है, पहला लोगों का परीक्षण कैसे किया गया और दूसरा महामारी का प्रकोप किस स्तर पर है। इसे वियतनाम के उदाहरण से समझा जा सकता है, जिसने हर पॉजिटिव मामले के लिए 750 टेस्ट किए। जहां पर टेस्ट की संख्या ज्यादा थी और महामारी का प्रकोप कम।
स्वस्थ होने की दर : कोविड-19 के सभी मामले संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने या फिर उसकी मौत में बदल जाते हैं। अमेरिका और यूरोप महामारी से जूझ रहे हैं। संक्रमण से ठीक होने और मौतों का आंकड़ा यह बता देता है कि इलाज के लिए उठाए गए कदम कितने प्रभावी हैं और कैसे यह महामारी कितनी घातक है।