Weather Update: अक्टूबर- नवंबर में आने वाला तूफानी चक्रवात नदारद लेकिन तेज ठंड पड़ने की संभावना
हर साल की तरह मौसम विभाग अक्टूबर में चक्रवाती तूफान से बचाव की तैयारी करता रहा लेकिन इस साल वह आया ही नहीं। वहीं दूसरी ओर जहां हर साल दो बार ही निम्न दबाव का क्षेत्र बनता है वहीं इस साल अक्टूबर माह में तीन बार इसका सामना करना पड़ा।
जेएनएन, नई दिल्ली। कोविड-19 महामारी से पार पाने में जुटी दुनिया को मौसम भी अपने कई रंग दिखा रहा है। एक ओर जहां इस बार ज्यादा बर्फबारी और ठंड पड़ने की संभावना जताई जा रही है, वहीं अक्टूबर और नवंबर माह में आने वाला तूफानी चक्रवात नदारद रहेगा। हर साल की तरह मौसम विभाग अक्टूबर में चक्रवाती तूफान (स्लाइक्लोन) से बचाव की तैयारी करता रहा, लेकिन इस साल वह आया ही नहीं। वहीं, दूसरी ओर जहां हर साल दो बार ही निम्न दबाव (डिप्रेशन) का क्षेत्र बनता है, वहीं इस साल अक्टूबर माह में तीन बार इसका सामना करना पड़ा। इस बदलाव पर मौसम विभाग की नजर है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (इंडियन मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट) के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र का कहना है ऐसा नहीं कि यह पहला मौका है। बीते 40 साल में 19 बार ऐसा मौका आया, जब अक्टूबर माह में चक्रवाती तूफान नहीं आया लेकिन तीन बार निम्न दबाव का क्षेत्र बनना एक अलग तरह का बदलाव है। इसकी वजह से इस साल मानसून की विदाई भी देरी से हुई। 2013 और 2014 के अक्टूबर महीने में भयंकर चक्रवाती तूफान “ फेलिन“ और “हुदहुद“ आया था। इन दोनों तूफानों ने ओडिशा और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में काफी तबाही मचाई थी। इस साल भी वैज्ञानिक इसका अनुमान लगाए थे लेकिन यह नहीं आया। आंकड़ों पर गौर करें तो 18 फीसद मौकों पर मौसम विभाग के अनुमान गलत साबित हुए हैं।
बंगाल की खाड़ी में तीन बार बना सिस्टम
बंगाल की खाड़ी में बीते एक महीने में तीन बार निम्न दबाव का क्षेत्र बना। पहले हफ्ते में नौ अक्टूबर के आसपास, दूसरे हफ्ते में 12-13 और तीसरे हफ्ते में 22 से 25 अक्टूबर के बीच कम दबाव का क्षेत्र बना। इसमें से एक सिस्टम का असर आंध्रप्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल पर रहा। सुंदरवन होते हुए यह बांग्लादेश की ओर बढ़ गया। वहीं दूसरे सिस्टम ने आंध्रप्रदेश, तेलंगाना होते हुए महाराष्ट्र को प्रभावित किया। मौसम विभाग के अनुसार, च् 20 अक्टूबर की सुबह बंगाल की खाड़ी के मध्य भाग में कम दबाव का क्षेत्र बना था। कम दबाव के क्षेत्र के कारण आंध्रप्रदेश, ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बारिश हुई। फिर यह ओडिशा के तटवर्ती क्षेत्र की ओर बढ़ा, जिससे उत्तरी-पूर्वी भारत में 22-24 अक्टूबर तक मूसलाधार बारिश हुई।
समुद्र की सतह ज्यादा गर्म होने पर आता है तूफान
डॉ. महापात्र के अनुसार समुद्र की सतह का पानी गर्म होने से चक्रवाती तूफान आता है। यह अमूमन उत्तर पश्चिम की ओर से उठता है और आगे बढ़ता है। इसका असर पांच दिनों तक रह सकता है और यह कई देशों को प्रभावित करता है।
1950-1954 सबसे लंबी अवधि जब कोई तूफान नहीं आया
मौसम विभाग के अनुसार 129 साल (1891-2020) की अवधि में 42 बार ऐसा मौका आया जब चक्रवाती तूफान नहीं आया। अब यदि वर्तमान कालखंड देखें तो 1950 से 1954 के बीच में अक्टूबर में चक्रवाती तूफान नहीं आया। यह सबसे लंबी अवधि है।
11 दिनों की देरी से विदाई
दक्षिण पश्चिम मानसून साल 2020 में वापसी की राह पर है। इसकी विदाई की शुरुआत 11 दिनों की देरी से 28 सितंबर 2020 को शुरू हुई। 30 सितंबर को इसने समूचे उत्तर पश्चिम भारत को अलविदा कह दिया। दूसरे चरण में जम्मू-कश्मीर से लेकर दिल्ली तक का क्षेत्र शामिल रहा। 30 सितंबर को मानसून की विदाई जम्मू-कश्मीर से लेकर गिलगित-बालटिस्तान, मुजफ्फराबाद, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश से हो गई।
अगले 15 दिन में कोई आसार नहीं
डॉ. मृत्युंजय के अनुसार स्लाइकोन का पूर्वानुमान सात-आठ दिन पहले ही जारी किया जाता है। 15 दिनों में इसके आसार नहीं है।