Move to Jagran APP

अब राज्यों में ही निपटेंगे वन भूमि मंजूरी से जुड़े ज्यादातर मामले

पर्यावरण मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर इसके त्वरित निराकरण का एक बड़ा प्लान तैयार किया है।

By Manish NegiEdited By: Published: Thu, 31 Aug 2017 09:14 PM (IST)Updated: Thu, 31 Aug 2017 09:14 PM (IST)
अब राज्यों में ही निपटेंगे वन भूमि मंजूरी से जुड़े ज्यादातर मामले
अब राज्यों में ही निपटेंगे वन भूमि मंजूरी से जुड़े ज्यादातर मामले

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वन भूमि की मंजूरी के चलते अटकी परियोजनाओं में अब जल्द ही तेजी देखने को मिलेगी। पर्यावरण मंत्रालय ने राज्यों के साथ मिलकर इसके त्वरित निराकरण का एक बड़ा प्लान तैयार किया है। जिसके तहत वन भूमि मंजूरी से जुड़े अधिकांश मामलों का निपटारा राज्यों में ही किया जाएगा। यानि राज्यों को इसकी मंजूरी के लिए अब केंद्र के चक्कर नहीं लगाने होंगे। मौजूदा समय में वन भूमि की मंजूरी से जुड़े राज्यों के मामले काफी बड़ी संख्या में मंत्रालय स्तर पर लंबित है। जिन्हें इस नई योजना से रफ्तार मिलेगी।

loksabha election banner

पर्यावरण मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों की मानें तो वन भूमि की मंजूरी मे देरी के पीछे ज्यादातर मामले ऐसे है, जिसमें राज्य सरकार या फिर संबंधित विभागों की ओर से जरुरी दस्तावेजों को समय से उपलब्ध न करा पाना भी एक बड़ी वजह है। ऐसे में इस पूरे प्लान का मकसद यही है कि यदि राज्यों में ही इस प्रक्रिया निपटारा किया जाए, तो पहले तो ज्यादातर मामलों का मौके पर ही निराकरण हो जाएगा। राज्य भी केंद्र पर मंजूरी में देरी का ठीकरा नहीं फोड़ सकेंगे। वहीं मंत्रालय से जुड़े सूत्रों की मानें तो अगले हफ्ते तक अपनी इस योजना पर अमल शुरु कर सकता है।

पर्यावरण मंत्रालय के मुताबिक राज्यों से वनभूमि मंजूरी के वर्ष 2014 में 1178 प्रस्ताव आए थे, जबकि वर्ष 2015 में 2218 और वर्ष 2016 में दिसबंर तक 711 प्रस्ताव आए थे। इनमें से करीब 50 फीसद प्रस्ताव अभी भी लंबित है। वहीं ऐसी ही कुछ स्थिति केंद्रीय योजनाओं से जुड़े मामलों की भी है। जहां पिछले तीन सालों में (जनवरी 2014 से दिसंबर 2016 के बीच) कुल 1877 प्रस्ताव मंजरी के आए थे, लेकिन इनमें से सिर्फ 1168 मामलों को ही मंजूरी मिल सकी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.