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ई-सिगरेट को लेकर सरकार सख्त, राज्यों को स्कूल-कॉलेज में मासिक निरीक्षण का आदेश

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी विभागों से अनुरोध किया है कि वो अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।

By Manish PandeyEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 10:36 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 10:36 PM (IST)
ई-सिगरेट को लेकर सरकार सख्त, राज्यों को स्कूल-कॉलेज में मासिक निरीक्षण का आदेश
ई-सिगरेट को लेकर सरकार सख्त, राज्यों को स्कूल-कॉलेज में मासिक निरीक्षण का आदेश

नई दिल्ली, एएनआइ। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव प्रीति सूदन (Union Health Secretary Preeti Sudan) ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) और राज्य सरकारों को शिक्षण संस्थानों में ई-सिगरेट (E-cigarettes) की उपलब्धता और उपयोग का निरीक्षण करने के लिए मासिक अभियान चलाने को कहा है।

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केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव द्वारा राज्य सरकार को लिखे पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बनाना, बेचना और विज्ञापन पर पूरी तरह से रोक लगाई है। सभी विभागों से अनुरोध किया जाता है कि वो अध्यादेश के प्रावधानों को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।

स्कूल और कॉलेजों में विशेष अभियान

एएनआई से बात करते हुए सूडान ने कहा कि अब जब सरकार ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया है, हमें सतर्क रहना होगा। हमें यह देखना होगा कि ई-सिगरेट स्कूल और विशेष रूप से कॉलेज के छात्रों के बीच उपलब्ध न हो। हमने एमएचआरडी और राज्य सरकारों से सभी शैक्षिक विभागों और संस्थानों को निर्देश देने के लिए कहा गया है कि यदि संभव हो तो इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट की उपलब्धता की जांच करने के लिए एक मासिक अभियान चलाएं।

पकड़े जाने पर 1 लाख रुपये का जुर्माना और जेल

बता दें कि ई-सिगरेट पर प्रतिबंध में उल्लंघनकर्ताओं के लिए कारावास और भारी जुर्माने का प्रवधान है। पकड़े जाने पर 1 लाख रुपये के जुर्माने के साथ एक साल तक की अधिकतम कैद की सजा है। इसके साथ-साथ इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट के उत्पादन, आयात, वितरण, बिक्री और उपयोग पर सख्त प्रतिबंध शामिल है।

यूवाओं में ई-सिगरेट का बढ़ता चलन

पिछले महीने कैबिनेट ब्रीफिंग में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि हमारे पास संयुक्त राज्य अमेरिका का जो डेटा है वह बताता है कि कक्षा 10 वीं से 12 वीं तक के स्कूली छात्रों के बीच ई-सिगरेट का 77.8 प्रतिशत चलन बढ़ा है। जबकि मध्य विद्यालय में पढ़ने वाले लगभग 48.5% बच्चे ई-सिगरेट के शिकार हैं।


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