Move to Jagran APP

महाराष्ट्र में बर्खास्त होते बचे थे यशस्वी यादव

महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डा. पीएस पसरीचा ने आइपीएस यशस्वी यादव के खिलाफ दो जांचें शुरू की थीं। पसरीचा कहते हैं कि, 'वर्ष 2007 में यादव के खिलाफ जांचें शुरू कराई थीं, लेकिन उनका विवरण अब याद नहीं पड़ता।' डाक्टरों की बर्बर पिटाई के बाद कानपुर से हटाए गए यशस्वी महाराष्ट्र क

By Edited By: Published: Fri, 07 Mar 2014 10:43 PM (IST)Updated: Sat, 08 Mar 2014 07:19 AM (IST)
महाराष्ट्र में बर्खास्त होते बचे थे यशस्वी यादव

मुंबई, [जागरण संवाददाता]। महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डा. पीएस पसरीचा ने आइपीएस यशस्वी यादव के खिलाफ दो जांचें शुरू की थीं। पसरीचा कहते हैं कि, 'वर्ष 2007 में यादव के खिलाफ जांचें शुरू कराई थीं, लेकिन उनका विवरण अब याद नहीं पड़ता।' डाक्टरों की बर्बर पिटाई के बाद कानपुर से हटाए गए यशस्वी महाराष्ट्र के अपने मूल कैडर में भी बहुत विवादित रहे हैं। वर्ष 2005 में तो वह नागपुर में तैनाती के दौरान बर्खास्त होते-होते बचे थे।

loksabha election banner

2000 बैच के आइपीएस यशस्वी राजनीतिक पहुंच के बल पर यूपी में प्रतिनियुक्ति पा गए। महाराष्ट्र में भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की नजदीकियों के चलते उनकी ठसक कम नहीं थी। कोल्हापुर पुलिस प्रशिक्षण कैंप में हुए एक सेक्स स्कैंडल के आरोपों से भी वह घिरे रहे। वहां उन पर और उनके अधीनस्थ अधिकारियों पर कुछ महिला प्रशिक्षुओं से दुष्कर्म का आरोप लगा। क्षेत्रीय पुलिस प्रशिक्षण स्कूल, कोल्हापुर में हुई मेडिकल जांच में एक अविवाहित प्रशिक्षु गर्भवती पाई गई। तब जांच के बाद यादव समेत कई अफसर निलंबित किए गए। महाराष्ट्र के एक पूर्व पुलिस महानिदेशक कहते हैं 'यादव के खिलाफ जांच रिपोर्ट गृह विभाग को भेजी गई, लेकिन सभी मामले तब गृह विभाग संभाल रहे राकांपा नेता ने दबा दिए।' नागपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर ने तो यशस्वी यादव के खराब आचरण की 17 रिपोर्ट विभाग को सौंपते हुए उनकी फौरन बर्खास्तगी की सिफारिश भी की थी। यादव पर तो यह भी आरोप है कि 2007 में नागपुर में कुछ डकैतियों की जांच करने पहुंची थाणे पुलिस टीम को उन्होंने हिरासत में ले लिया था। पेट्रोल में मिलावट करने वाले रसायनों के अवैध व्यापार में लिप्त होने के भी उन पर आरोप लगे। पसरीचा ने इन दोनों मामलों की जांच करवाई थी। मुंबई के एक और आइपीएस याद करते हैं कि मुंबई में पुलिस वालों के परिवार के लिए एक बड़ा कार्यक्रमआयोजित हुआ, लेकिन यादव ने उसके टिकट प्राइवेट लोगों को बेच दिए। उनके कई साथी उनके कंप्यूटर दक्षता जैसे गुणों की चर्चा करते हैं, लेकिन यह कहना नहीं भूलते कि गलत तौर तरीकों के कारण वह इन्हें व्यापक फलक नहीं दे सके।

सभी जांचें पूरी, मैं निर्दोष : यशस्वी यादव

आइपीएस यशस्वी यादव ने कहा है कि किसी दूसरे प्रदेश में प्रतिनियुक्ति पर जाने से पहले विजिलेंस रिपोर्ट लगती है और उसके बाद ही प्रदेश सरकार एनओसी जारी करती है। उनके खिलाफ कोई जांच लंबित होती तो उन्हें उत्तर प्रदेश में तैनाती के लिए एनओसी नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि कोल्हापुर प्रकरण की जांच राष्ट्रीय महिला आयोग ने की थी। जांच में पाया था कि केवल एक महिला कांस्टेबिल एक हेडकांस्टेबल के साथ सम्बन्धों के चलते गर्भवती हुई थी। दोषी हेड कांस्टेबिल को निलम्बित कर दिया गया था। उनका कहना है कि जांच अधिकारी वह स्वयं थे। थाणे पुलिस टीम को सादे कपड़ों में होने की वजह से गलतफहमी के चलते हिरासत में लिया गया था और जांच कमेटी ने किसी को दोषी नहीं पाया। यदि किसी तरह की भी जांच लम्बित होती तो उन्हें प्रोन्नति व महत्वपूर्ण तैनाती (पोस्टिंग) नहीं मिलती। उनके अनुसार उन्हें राजीव गांधी अवार्ड फॉर सिविल सर्विसेज वर्ष 2008 में दिया गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.