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श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से मिले विदेश मंत्री, 29 को भारत दौरे पर आएंगे गोताबाया

श्रीसंका के नए राष्ट्रपति ने भारतीय पीएम का आमंत्रण स्वीकार कर लिया है और वह 29 नवंबर 2019 को भारत के दौरे पर आएंगे।

By Manish PandeyEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 09:16 PM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 08:18 AM (IST)
श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से मिले विदेश मंत्री, 29 को भारत दौरे पर आएंगे गोताबाया
श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति से मिले विदेश मंत्री, 29 को भारत दौरे पर आएंगे गोताबाया

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। पड़ोसी देश श्रीलंका भारत के लिए कितना महत्वपूर्ण हो गया है इसकी एक बानगी मंगलवार को देखने को मिली। दो दिन पहले रविवार को ही श्रीलंका में गोताबाया राजपक्षे को वहां का नया राष्ट्रपति चुना गया और मगंलवार की शाम को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर कोलंबो भी पहुंच गये और देर शाम तक उनकी राजपक्षे से मुलाकात भी हो गई।

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जयशंकर बुधवार को सुबह लौट भी आएंगे। विदेश मंत्री की कोलंबो यात्रा का फैसला निश्चित तौर पर आनन फानन में लिया गया है, लेकिन यह बताता है कि कूटनीतिक मोर्चे पर सरकार की सक्रियता कितनी बढ़ गई है। वर्ष 2015 में जब श्रीलंका चुनाव में सिरीसेना की सरकार बनी थी तो उनके विदेश मंत्री मंगल समरवीरा को पद संभालने के पांचवें दिन ही भारत आमंत्रित किया गया था। लेकिन इस बार स्वयं भारत के विदेश मंत्री कोलंबो पहुंचे हैं जो बदले हुए समीकरण को भी बताता है।

पिछली सिरीसेना की सरकार को भारतीय हितों का समर्थक माना जाता था लेकिन राजपक्षे सार्वजनिक तौर पर चीन को साधने की बात करते हैं। यह भी उल्लेखनीय तथ्य है कि वह पूर्व राष्ट्रपति एम राजपक्षे के भाई हैं जिनके दस वर्षो के कार्यकाल में श्रीलंका में चीन को पांव पसारने का पूरा मौका मिला था। विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि विदेश मंत्री जयशंकर 19 व 20 नवंबर, 2019 को श्रीलंका की यात्रा पर होंगे। दरअसल, मंगलवार को ही राजपक्षे के नेतृत्व वाली नई सरकार का पहला दिन था। इसके कुछ ही देर बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट किया कि उनकी मुलाकात नए राष्ट्रपति से हो गई है। नए राष्ट्रपति ने भारतीय पीएम का आमंत्रण स्वीकार कर लिया है और वह 29 नवंबर, 2019 को भारत के दौरे पर आएंगे।

इस तरह से देखा जाए तो राजपक्षे की नई सरकार के कार्यकाल में वहां सबसे पहले पहुंचने वाला विदेशी दल भारत का रहा है और अब राजपक्षे सबसे पहला विदेशी दौरा भी भारत का करेंगे। जानकारों की माने तो चुनाव जीतने के बाद राजपक्षे की तरफ से जिस तरह से कूटनीतिक संदेश आ रहे हैं वह चुनाव होने से पहले से काफी अलग हैं। यह भारत के लिए अच्छा है क्योंकि राजपक्षे के बारे में माना जाता है कि वह चीन के प्रति झुकाव रखते हैं। माना जा रहा है कि जिस तरह से पिछले चुनाव में भारत ने अपने आपको को श्रीलंका से एक दम अलग रखा उसका काफी सकारात्मक संदेश वहां की आवाम के साथ ही राजनीतिक दलों को भी गया है। भारत ने साफ तौर पर कहा है कि उसकी रुचि श्रीलंका के नागरिकों के हितों से है। जो भी सरकार वहां चुन कर आएगी, उसके साथ उतने ही खुले दिल से काम किया जाएगा।


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