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आरक्षण रोस्टर पर अध्यादेश आने के बाद विवि में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हुई तेज

विश्वविद्यालय में आरक्षण रोस्टर को लेकर यह विवाद उस समय खड़ा हुआ जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवि की जगह विभाग को यूनिट मानकर रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 09 Mar 2019 08:19 PM (IST)Updated: Sun, 10 Mar 2019 01:00 AM (IST)
आरक्षण रोस्टर पर अध्यादेश आने के बाद विवि में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हुई तेज
आरक्षण रोस्टर पर अध्यादेश आने के बाद विवि में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया हुई तेज

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आरक्षण रोस्टर को लेकर अध्यादेश आने के बाद विश्वविद्यालय और कालेजों में शिक्षकों के खाली पदों को भरने की प्रक्रिया तेज हो गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इसे लेकर सभी विवि और कालेजों को निर्देश जारी किया है। साथ ही यह भी साफ किया है कि आरक्षण रोस्टर का निर्धारण पहले की तरह विश्वविद्यालय या कालेजों को ही यूनिट मानकर किया जाएगा। इनमें कोई बदलाव नहीं होगा। सरकार की ओर यह अध्यादेश गुरूवार को लाया गया था। जो राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अगले दिन ही प्रभावी हो गया था।

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यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को यह निर्देश उस समय दिया है, जब इन सभी संस्थानों में मौजूदा समय में शिक्षकों के पांच हजार से ज्यादा पद खाली पड़े है। पिछले दिनों इनमें से कुछ संस्थानों ने इन्हें भरने की प्रक्रिया शुरू भी की थी, लेकिन आरक्षण रोस्टर को लेकर उपजे विवाद के चलते सरकार ने इस पर रोक लगा दी थी। विश्वविद्यालय में भर्ती की यह प्रक्रिया पिछले करीब डेढ साल से रुकी पड़ी हुई है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद पैदा हुई इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की याचिका को खारिज करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया। आखिरकार सरकार को इसे लेकर अध्यादेश लाना पड़ा, क्योंकि उसके पुनर्विचार याचिका खारिज हो जाने के बाद उसके पास कोई विकल्प बचा नहीं था।

सूत्रों की मानें तो यूजीसी ने यह जल्दबाजी अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने के बाद दिखाई है। उसका मानना है कि यदि इनमें ज्यादा देरी की गई तो यह मामला फंस सकता है। ऐसे में बगैर समय गंवाए वह खाली पदों को भर्ती का काम पूरा कर लेना चाहती है। उसकी इस तेजी के पीछे एक और बडी वजह जो है, वह यह है कि इसके चलते विश्वविद्यालय में पढ़ाई का काम प्रभावित हो रहा है।

विश्वविद्यालय में आरक्षण रोस्टर को लेकर यह विवाद उस समय खड़ा हुआ, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में विवि की जगह विभाग को यूनिट मानकर आरक्षण रोस्टर तैयार करने का निर्देश दिया। फैसले का विरोध करने वालों का कहना था कि कोर्ट के इस फैसले से एससी-एसटी और ओबीसी को विश्वविद्यालयों में सही प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाएगा।


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