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मलेरिया से बचाव कर सकता है सूप, हर साल 4 लाख लोगों की हो रही मौत

इंपीरियल कॉलेज लंदन के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता जैक बाउम ने बताया मच्छर जनित मलेरिया रोग से हर साल चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 07:38 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 07:38 PM (IST)
मलेरिया से बचाव कर सकता है सूप, हर साल 4 लाख लोगों की हो रही मौत
मलेरिया से बचाव कर सकता है सूप, हर साल 4 लाख लोगों की हो रही मौत

नई दिल्‍ली, आइएएनएस। सूप सेवन का एक नया फायदा सामने आया है। एक अध्ययन का दावा है कि सब्जियों या मीट को उबालकर घर पर बनने वाले सूप से मलेरिया रोग से बचाव में मदद मिल सकती है। इस तरह के सूप में मलेरिया रोधी गुण पाए गए हैं। भारत में अब भी मलेरिया के मामले सामने आते रहते हैं।

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मलेरिया से हर साल चार लाख से अधिक लोगों की मौत

इंपीरियल कॉलेज, लंदन के प्रोफेसर और अध्ययन के प्रमुख शोधकर्ता जैक बाउम ने बताया, 'मच्छर जनित मलेरिया रोग से हर साल चार लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। 20 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। हम इस बीमारी से बचाव के लिए दवाओं के अलावा दूसरे विकल्पों पर भी गौर कर सकते हैं।' आर्काइव्ज ऑफ डिजीज इन चाइल्डहुड जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इंपीरियल कॉलेज के शोधकर्ताओं ने मलेरिया के परजीवी के खिलाफ सूप की गतिविधि का परीक्षण किया। उन्होंने कई पारंपरिक सूप को मलेरिया के परजीवी प्लाज्मोडियम के खिलाफ प्रभावी पाया है। 

पौष्टिक आहार से कम हो सकता है बहरापन का खतरा

पौष्टिक आहार के सेवन से ना सिर्फ तन और मन स्वस्थ रहता है बल्कि कई बीमारियों से बचाव भी होता है। अब शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि इस तरह के आहार के सेवन से बहरेपन के खतरे को कम किया जा सकता है।

बहरेपन के खतरे को भी सकते हैं टाल

अमेरिका के ब्रिंघम एंड वूमेंस हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने यह निष्कर्ष सुनने की संवेदनशीलता पर तीन साल तक किए गए अध्ययन के आधार पर निकाला है। उन्होंने पाया कि आमतौर पर जिस तरह के पौष्टिक आहार की सलाह दी जाती है, उसका सेवन करने वाली महिलाओं में सुनने की संवेदनशीलता में गिरावट का खतरा कम पाया गया। शोधकर्ता शैरोन करहान ने कहा, 'आम धारणा है कि उम्र बढ़ने के साथ सुनने की क्षमता में गिरावट आती है। लेकिन हमने अपने अध्ययन में पाया कि हम अपने आहार और जीवनशैली में बदलाव कर बहरेपन के खतरे को टाल सकते हैं।'


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