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मिशन होप के लिए दौड़ीं थीं सोफिया, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस से नवाजी गईं

33 वर्षीय धावक सूफिया खान बीते वर्ष ‘मिशन होप’की वजह से सुर्खियों में थीं। उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी 87 दिन 2 घंटे और 17 मिनट में दौड़कर पूरी की थी।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 26 Jan 2020 11:33 AM (IST)Updated: Sun, 26 Jan 2020 11:33 AM (IST)
मिशन होप के लिए दौड़ीं थीं सोफिया, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस से नवाजी गईं
मिशन होप के लिए दौड़ीं थीं सोफिया, गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस से नवाजी गईं

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। राजस्थान के अजमेर की रहने वाली सूफिया खान को हाल ही में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस से नवाजा गया है। उन्हें यह खिताब उनकी बीते वर्ष पूरी की गई उस दौड़ के लिए या गया, जिसमें उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक की यात्रा को 87 दिनों में पूरा किया था।

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अपने लिए तो हर कोई जीता है, लेकिन ऐसे कम ही होते हैं जो खुद से बढ़कर देश और देश की एकता के बारे में सोचते हैं। ऐसा ही एक नाम है राजस्थान के अजमेर की रहनी वाली 33 वर्षीय धावक सूफिया खान, जो बीते वर्ष ‘मिशन होप’की वजह से सुर्खियों में थीं। उन्होंने कश्मीर से कन्याकुमारी तक की दूरी 87 दिन, 2 घंटे और 17 मिनट में दौड़कर पूरी की थी। 

मिशन होप की वजह से आईं थी सुर्खियों में 

हाल ही में वह एक बार फिर सुर्खियों में हैं, जब उन्हें उनके इस मिशन की वजह से गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस से नवाजा गया है।कुछ समय तक एक एयरलाइन कंपनी में नौकरी करने वाली सूफिया ने अपने दौड़ने के जज्बे को पूरा करने के लिए नौकरी छोड़ दी। मकसद था देश के लोगों से मिलकर एकता, भाईचारे, शांति और समानता का संदेश देना। इसी उद्देश्य से गत वर्ष 25 अप्रैल को उन्होंने मिशन होप की शुरुआत की। 

देश के 22 शहरों से गुजरी 

उनका लक्ष्य 100 दिनों में कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश के 22 शहरों से गुजरना और इस दौरान लोगों से मिलना था। होप यानी कि मानवता (ह्यूमेनिटी), एकता (वननेस), शांति (पीस) और समानता (इक्वेलिटी)। लक्ष्य 100 दिन का था, लेकिन 87 दिन में ही वह इसे पूरा करने में सफल हुईं। इस दौरान वह जिस भी शहर से गुजरीं वहां के लोगों ने उनका और

उनकी इस पहल का स्वागत किया। बकौल सूफिया, उनके लिए इस दौड़ से ज्यादा लोगों से मिलना और उनसे बात करना ज्यादा अहम रहा। वह कहती हैं कि वह जिस भी शहर में गईं वहां के लोग भी उनके साथ दौड़े। लोगों के इस साथ ने उनके हौसले को बढ़ाया, जिसकी बदौलत ही वह अपने लक्ष्य को जल्द हासिल कर पाईं।

सिर्फ मेरी जीत नहीं

हाल ही में सूफिया को जब उनके इस अभियान के लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस से नवाजा गया तो उनका कहना था कि यह जीत सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति की है जो उनके इस अभियान में उनके साथ दौड़ा। हर वह व्यक्ति जिसने उनके इस अभियान की सराहना की।

अपनी यात्रा के अनुभव के बारे में सूफिया का कहना था कि वह 22 शहरों से गुजरीं, जहां हर धर्म के लोग उनसे मिले। बकौल सूफिया, यात्र के दौरान जिस तरह से वह हर धर्म के लोगों से मिलीं, वह सब उन्हें मानवता का संदेश दे रहा था। भारत अलग-अलग धर्मों और संस्कृतियों का देश है। आज, एक इंसान भौतिक सुख प्राप्त करने के लिए नैतिक मूल्यों, भाईचारे और संस्कृति से दूर जा रहा है, जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

पहले भी बना चुकी हैं रिकॉर्ड

वर्ष 2018 में भी सूफिया एक रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं। तब उन्होंने 16 दिनों में 720 किमी की दूरी को दौड़कर पूरा किया था। ऐसा करने वाली वह पहली महिला धावक बनी थीं। इस उपलब्धि के लिए उनका नाम इंडियन बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया। 


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