कर्नाटक के चुनावी दंगल में आमने-सामने हैं बंगारप्पाा के दो बेटे
सोरबा में बंगारप्पा के ज्येष्ठ पुत्र कुमार बंगारप्पा भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवार है, तो उन्हीं के विरुद्ध उनके छोटे भाई मधु बंगारप्पा जनतादल (से.) से चुनाव लड़ रहे हैं।
सोरबा, कर्नाटक (ओमप्रकाश तिवारी)। युद्ध और चुनाव में कौन किसका मित्र या शत्रु होगा, ये कोई नहीं जानता। ये बात सोरबा विधानसभा क्षेत्र में खरी उतरती दिखाई दे रही है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री एस.बंगारप्पा के दो बेटे आपस में ही ताल ठोंक रहे हैं। सोरबा में बंगारप्पा के ज्येष्ठ पुत्र कुमार बंगारप्पा भारतीय जनता पार्टी से उम्मीदवार है, तो उन्हीं के विरुद्ध उनके छोटे भाई मधु बंगारप्पा जनतादल (से.) से चुनाव लड़ रहे हैं। एक समय एस.बंगारप्पा कर्नाटक कांग्रेस के दिग्गज नेता एवं मुख्यमंत्री रहे हैं।
लेकिन 2004 में कांग्रेस नेतृत्व से रिश्ते बिगड़ने के बाद वह भाजपा में शामिल हुए और 2004 का लोकसभा चुनाव उन्होंने शिमोगा सीट से भाजपा से ही जीता। बंगारप्पा के बड़े बेटे कुमार बंगारप्पा भी उनके साथ भाजपा में शामिल हुए थे। लेकिन कुछ समय बाद वह पुनः कांग्रेस में लौट गए। कुमार बंगारप्पा के कांग्रेस में लौटने को अपने साथ विश्वासघात माना, और उनसे पारिवारिक एवं राजनीतिक नाता तोड़ने की सार्वजनिक घोषणा कर दी। यहां तक कि उन्हें अपने घर से भी निकाल दिया।
उस समय एस.बंगारप्पा के छोटे पुत्र मधु बंगारप्पा राजनीति में सक्रिय नहीं थे। वह फिल्मी दुनिया से जुड़े थे। कुमार बंगारप्पा के परिवार से निष्कासन के बाद मधु बंगारप्पा ने ही पिता के साथ राजनीतिक जिम्मेदारियां उठानी शुरू कीं। या यूं कहें कि पिता ने अपनी राजनीतिक विरासत मधु को सौंपने की भूमिका बनानी शुरू कर दी। मधु बंगारप्पा भाजपा में शामिल हुए। कुछ समय बाद ही पिता एस.बंगारप्पा के साथ ही मधु ने भी भाजपा छोड़ दी और समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए।
2008 में एस. बंगारप्पा ने शिकारीपुरा विधानसभा सीट से भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बी.एस.येद्दयूरप्पा के विरुद्ध विधानसभा चुनाव लड़ा और बुरी तरह पराजित हुए। इसी प्रकार 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में भी वह कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े और येद्दयुरप्पा के ज्येष्ठ पुत्र बी.वाई.राघवेंद्र से भी पराजित हुए। इस हार के बाद एस.बंगारप्पा 2010 में जनतादल (से.) में शामिल हुए तो मधु बंगारप्पा भी उनके साथ जदस में आ गए। 2011 में एस.बंगारप्पा के निधन के बाद मधु बंगारप्पा ने पूरी तरह से अपने पिता की राजनीतिक विरासत संभाली और 2013 में जदस के टिकट पर सोरबा विधानसभा सीट से चुने गए।
इधर कुमार बंगारप्पा कांग्रेस में चमक नहीं सके। कांग्रेस में अधिक महत्त्व न मिलने के कारण अब कुमार बंगारप्पा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। सोरबा में भाजपा आजतक चुनाव नहीं जीती है। भाजपा को यहां से एक मजबूत उम्मीदवार की जरूरत थी। बता दें कि बंगारप्पा कर्नाटक के ईडिगा समुदाय से आते हैं। यदि इस समुदाय के साथ येद्दियूरप्पा के लिंगायत प्रभाव को जोड़ लिया जाए तो कुमार बंगारप्पा के साथ-साथ इस सीट से भाजपा की भी नैया पार सकती है।