सोमनाथ चटर्जी के परिवार वालों ने सीपीएम नेता को लौटाया
माकपा से निष्कासित किए जाने की घटना को उन्होंने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा दिन बताया था।
कोलकाता, एएनआइ। मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी (सीपीएम) के नेताओं के खिलाफ पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के निधन के बाद सोमवार को उनके परिवार वाले का गुस्सा फूट पड़ा। सोमनाथ चटर्जी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे सीपीएम के पूर्व राज्य प्रमुख बिमान बोस को चटर्जी के बेटे ने वापस जाने को कहा।
इस पर उन्होंने कहा कि 'मुझे उसके व्यवहार से कोई दिक्कत नहीं है। अपने पिता मृत्यु से वह पूरी तरह टूट चुका है। वास्तव में उसके पिता भी उसको पसंद नहीं करते थे।' इससे पहले सोमनाथ चटर्जी की बेटी का उनके शव पर सीपीएम को झंडा लगाने से इंकार कर दिया।
2008 में सोमनाथ दा को पार्टी से निकाल दिया गया
सोमनाथ के राजनीतिक सफर में दुखद पल तब आया जब साल 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु संधि के मुद्दे पर वामदल ने कांग्रेस गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया। इस समय सोमनाथ लोकसभा अध्यक्ष के पद पर थे। इस लिस्ट में सोमनाथ चटर्जी का नाम भी डाला गया जबकि लोकसभा अध्यक्ष के पद पर बैठा व्यक्ति किसी दल का नहीं होता। इस मुद्दे पर चटर्जी पार्टी के खिलाफ भी गए और पार्टी की न सुनते हुए वह स्पीकर पद पर बने रहे। जिसका हर्जाना उन्हें भुगतना पड़ा और पार्टी ने अनुशासन का पालन न करने के आरोप के साथ पार्टी से बेदखल कर दिया। माकपा से निष्कासित किए जाने की घटना को उन्होंने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा दिन बताया था।
साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि 'भविष्य में लोकसभा स्पीकरों को अपने दलों से इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि वह उस कार्यालय में सेवा कर सकें ताकि वह गैर-पक्षपातपूर्ण छवि बनाए रखने में कामयाब हो सके।' 2009 के बाद वह किसी भी दल में शामिल नहीं हुए।
'हमें पूरी जिंदगी अफसोस रहेगा'
सीपीएम के वरिष्ठ नेता नेपालदेब भट्टाचार्य ने कहा कि पार्टी में दोबारा शामिल होने के लिए रजामंद करने की खातिर पिछले कुछ सालों में कई नेता चटर्जी से मिले लेकिन मुद्दा सुलझ नहीं पाया। उन्होंने कहा, ‘‘हमें पूरी जिंदगी यह अफसोस रहेगा कि हम उन्हें दोबारा पार्टी में नहीं ला पाए। हम आज एक मुश्किल स्थिति में हैं और अच्छा होता अगर वह हमारे साथ होते। हमने पूर्व में उन्हें वापस लाने की पूरी कोशिश की लेकिन नाकाम रहे।’’
सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि पार्टी से निष्कासन के बाद भी पार्टी सदस्यों के साथ चटर्जी के संबंध पहले जैसे ही रहे। उन्होंने कहा, ‘हमारे उनके साथ हमेशा बेहद मधुर संबंध थे। काश वह पार्टी के सदस्य बने रहते। उनका निधन हमारे लिए एक अपूरणीय क्षति है।’
'वह पार्टी से ऊपर थे'
सीपीएम की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने चटर्जी को धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक ताकतों के लिए लड़ने वाला सांसद बताया जिनके लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं में प्रेम और सम्मान था। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ सालों में वह पार्टी के संपर्क में नहीं थे लेकिन यह मायने नहीं रखता, वह पार्टी से ऊपर थे। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र में और धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक ताकतों के लिए जो भूमिका निभायी, उसे किसी एक दल के संदर्भ में नहीं देखा जा सकता'।
सीपीएम के एक दूसरे नेता ने कहा कि चटर्जी को सीपीएम से निकालने का कारण पार्टी के तत्कालीन नेतृत्व का ‘अहंकार’ था. लोकसभा सदस्य मोहम्मद सलीम, पार्टी के वरिष्ठ नेता श्यामल चक्रवर्ती और राबिन डे चटर्जी को सोमवार को अस्पताल जाकर श्रद्धांजलि देने वाले नेताओं में शामिल थे। सीपीएम की प्रदेश समिति ने सुबह पार्टी मुख्यालय में चटर्जी के निधन की खबर आने के बाद अपनी बैठक स्थगित कर दी।