ICICI बैंक की प्रमुख चंदा कोचर को लेकर उठे सवाल, मोदी सरकार भी चिंतित
मामले की जांच सीबीआइ व रिजर्व बैंक की तरफ से की जा रही है। सीबीआइ में पिछले कुछ दिनों से रोजाना कोचर परिवार के लोगों से पूछताछ की जा रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अपने पति व देवर की कंपनी को कर्ज देने के मामले में फंसी आइसीआइसीआइ बैंक की एमडी व सीईओ चंदा कोचर के पद पर बने रहने को लेकर सवाल उठने लगे हैं। एक तरफ जहां देश के इस दूसरे सबसे बड़े बैंक के कुछ शेयरधारकों ने चंदा कोचर की भूमिका पर सवाल उठाया गया है, तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार भी इस महत्वपूर्ण बैंकिंग संस्थान की छवि को लेकर चिंतित हो रही है। रही सही कसर प्रमुख रेटिंग एजेंसी फिच ने पूरी कर दी है। सोमवार को फिच ने आईसीआइसीआइ बैंक पर अपनी रिपोर्ट में साफ तौर पर कहा है कि बैंक में गवर्नेस को लेकर संशय पैदा हो चुका है। पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजंेंसी ने विवाद उत्पन्न होने पर इस बैंक के बारे में अपनी राय दी है।
चंदा कोचर के पति दीपक कोचर व उनके देवर राजीव कोचर की कंपनी के वीडियोकोन उद्योग समूह के साथ रिश्ते और इस उद्योग समूह को बैंक की तरफ से लोन देने का मामला अब बेहद उलझ गया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बैंक के निदेशक बोर्ड की अगली बैठक बेहद महत्वपूर्ण रहेगी। उसमें चंदा कोचर के भविष्य पर फैसला हो सकता है। बैंक में हिस्सा रखने वाले कुछ अहम शेयरधारकों ने अपनी तरफ से आइसीआइसीआइ बैंक की गिरती साख को लेकर चिंताएं जता दी है और यहां तक कहा है कि कोचर का एमडी व सीईओ के पद पर बने रहने से बैंक की खोई प्रतिष्ठता बहाल करने में परेशानी होगी। उधर, वित्त मंत्रालय आइसीआइसीआइ में उपजे इस विवाद को लेकर चल रही जांच पर नजर बनाये हुए है।
मामले की जांच सीबीआइ व रिजर्व बैंक की तरफ से की जा रही है। सीबीआइ में पिछले कुछ दिनों से रोजाना कोचर परिवार के लोगों से पूछताछ की जा रही है। राजीव कोचर से सोमवार को भी सीबीआइ ने मुंबई में पूछताछ की है। मामले के सामने आने के बाद आइसीआइसीआइ बैंक के शेयर भाव में तकरीबन 8 फीसद की गिरावट हो चुकी है। यह एक अहम वजह है कि बैंक के बड़े संस्थागत निवेशक ऐसे कदम उठाने के पक्ष में है जिससे बाजार में भरोसा कायम हो सके। सनद रहे कि इस विवाद के सामने आने के तुरंत बाद आइसीआइसीआइ बैंक की पहली निदेशक बोर्ड की बैठक में तो कोचर का समर्थन किया गया था लेकिन 28 मार्च, 2018 को हुई दूसरी बैठक में कुछ सदस्यों ने अपनी आपत्ति सामने रखी थी। इस बैठक में सरकार और बैंक में 9 फीसद से ज्यादा हिस्सा रखने वाली सरकारी क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनी एलआइसी के प्रतिनिधियों ने हिस्सा नहीं लिया था।
उधर, फिच रेटिंग एजेंसी ने आइसीआइसीआइ बैंक की गवर्नेस व्यवस्था पर ही संदेह उत्पन्न होने की बात कही है। फिच के मुताबिक जिस तरह के आरोप बैंक के उपर लग रहे हैं उसे देखते हुए बैंक की साख को लेकर सवाल उठना लाजिमी है। फिच ने सीधे तौर पर चंदा कोचर को भी सवालों के घेरे में ले लिया है। इसने कहा है कि बैंक के सीईओ के क्रेडिट कमिटी में शामिल होना, किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करवाने से इनकार करना, संदेह पैदा करता है। हो सकता है कि आने वाले दिनों में नियामक एजेंसी बैंक के खिलाफ कड़े कदम उठाये। अगर विवाद बहुत बढ़ जाता है तो तरलता संकट पैदा हो सकता है और कर्ज की लागत भी बढ़ सकती है।