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सियाचिन पर तैनात जवानों के लिए इसरो से करार, मिलेगी इलाज की बेहतर सुविधा

सियाचिन ग्लेशियर बेहद सर्द मौसम का ध्‍यान रखते हुए यहां तैनात जवानों के लिए बेहतर चिकित्‍सा मुहैया कराते हुए इसरो से करार किया है।

By Monika MinalEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 12:37 PM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 01:07 PM (IST)
सियाचिन पर तैनात जवानों के लिए इसरो से करार, मिलेगी इलाज की बेहतर सुविधा
सियाचिन पर तैनात जवानों के लिए इसरो से करार, मिलेगी इलाज की बेहतर सुविधा

नई दिल्‍ली (एएनआइ)। सियाचिन समेत सुदूर इलाकों में जवानों के लिए बेहतर चिकित्‍सा सुविधा मुहैया कराने के क्रम में रक्षा मंत्रालय ने भारतीय अंतरिक्ष शोध संस्‍थान (इसरो) के साथ हाथ मिलाया है। टेलीमेडिसीन नोड्स की स्‍थापना के लिए शुक्रवार को समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किया गया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, नई दिल्‍ली में अंतरिक्ष विभाग अहमदाबाद और मुख्यालय, एकीकृत रक्षा स्टाफ (आइडीएस) मेडिकल और इसरो के शिक्षा संचार इकाई (DECU) के बीच टेलीमेडिसिन नोड्स की स्थापना के लिए एक ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर किए गए

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डीजीएएफएमएस के लेफ्टीनेंट जनरल की उपस्‍थिति में इस कागजात पर डीईसीयू, इसरो के निदेशक वीरेंद्र कुमार और डिप्‍टी चीफ आइडीएस (मेडिकल) ने हस्‍ताक्षर किए।

पहले चरण में इसरो देश के एयरफोर्स, नेवी, आर्मी में मौजूदा 20 नोड्स के साथ 53 नोड्स की और स्‍थापना करेगा। दुनिया में सबसे अधिक ऊंचाई वाले इस युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर पर न केवल कामकाजी नोड है, बल्‍कि ग्लेशियर में तैनात सैनिकों के बीच चिकित्सा परामर्श सक्षम करने के लिए चार और नोड्स स्थापित किए जा रहे हैं।

बर्फीली ऊंचाइयों पर मौसम की स्थिति हमेशा बदलता रहती है। ऐसी अनिश्चित स्थितियों में, इन सैटेलाइट टेलीमेडिसिन नोड्स के माध्यम से होने वाला संचार जीवन रक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के वितरण में महत्वपूर्ण बदलाव होगा।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार 1984 में सियाचिन पर कब्जा जमाने के बाद से अब तक एक हजार सैनिक अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें सिर्फ 220 सैनिक ही दुश्मन की गोली से शहीद हुए है। यहां के बर्फीले मौसम के कारण साल के कई महीनों तक कोई कनेक्‍शन नहीं हो पाता है। ऐसे में सैटेलाइट के जरिए टेलीमेडिसीन नोड्स काम करेंगी।


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