सोशल मीडिया भारतीय खाद्य उत्पादों की छवि बिगाड़ने वाले संदेशों पर कसे लगाम
खाद्य उत्पादों को लेकर कई तरह के भ्रामक संदेश फैलाये जाते हैं जिसकी वजह से देश की छवि खराब होती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अफवाहें फैलाने और दंगे भड़काने वाले संदेशों को लेकर सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम कसने के बाद अब भारतीय खाद्य उत्पादों की छवि खराब करने वाले संदेशों पर नियंत्रण की कोशिश शुरू हो गई है। खाद्य सुरक्षा नियामक [एफएसएसएआइ] ने सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को पत्र लिखकर वाट्सएप, फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म के साथ इस मुद्दे को उठाने का आग्रह किया है। एफएसएसएआइ का मानना है कि इन प्लेटफार्म पर खाद्य उत्पादों को लेकर कई तरह के भ्रामक संदेश फैलाये जाते हैं जिसकी वजह से देश की छवि खराब होती है।
एफएसएसएआइ प्रमुख ने लिखा आइटी सचिव को पत्र
खाद्य सुरक्षा नियामक पवन अग्रवाल ने इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी सचिव अजय प्रकाश साहनी को पत्र लिखकर ऐसे संदेशों को ट्रैक कराने की व्यवस्था करने को कहा है ताकि ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके। अग्रवाल ने कहा है कि विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मो पर बड़े स्तर पर इस तरह का दुष्प्रचार चल रहा है। इसलिए इन संदेशों के मूल स्त्रोत तक पहुंचना आवश्यक है। एफएसएसएआइ प्रमुख ने सुझाव दिया है कि इन कंपनियों को देश में एक नोडल अधिकारी की नियुक्त करने को कहा जा सकता है ताकि ऐसा होने पर सीधे उनसे संपर्क किया जा सके।
अपने पत्र में एफएसएसएआइ प्रमुख ने लिखा है कि इस तरह का दुष्प्रचार देश की खाद्य नियंत्रक व्यवस्था में भरोसे को भी खत्म करता है। अग्रवाल ने अपने पत्र में ऐसे कुछ संदेशों का भी जिक्र किया है जिनसे भ्रम फैलाने की कोशिश की गई। इनमें प्लास्टिक के अंडों, प्लास्टिक के चावलों से संबंधित वीडियों से लेकर दूध में मिलावट के वीडियों शामिल हैं।
कुछ वीडियो में यह भी बताया गया है कि एफएसएसआइ ने ही दूध में क्राकरी बनाने में इस्तेमाल होने वाले एक खास तरह के रसायन को मिलाने की अनुमति दी है। उनका मानना है कि इस तरह के दुष्प्रचार न तो नागरिकों के हित में और न ही देश के खाद्य उत्पाद बिजनेस के हित में।
पिछले दिनों ही वाट्सएप और फेसबुक को सरकार ने दंगे भड़काने और अफवाहें फैलाने से संबंधित संदेशों को नियंत्रित करने का कहा था। सरकार वाट्सएप को भारत में नोडल अधिकारी नियुक्त करने को पहले ही कह चुकी है।