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नौकरी के लिए आवेदन करने पर युवती के परिजनों का कर दिया सामाजिक बहिष्कार

वर्ष 2017 में राज्य मानवाधिकार आयोग में सामाजिक बहिष्कार के कुल 40 प्रकरण दर्ज किए गए थे।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 07 Aug 2018 09:00 PM (IST)Updated: Tue, 07 Aug 2018 09:00 PM (IST)
नौकरी के लिए आवेदन करने पर युवती के परिजनों का कर दिया सामाजिक बहिष्कार
नौकरी के लिए आवेदन करने पर युवती के परिजनों का कर दिया सामाजिक बहिष्कार

श्रीशंकर शुक्ला, रायपुर। छत्तीसगढ़ में कई जातिगत समाजों में व्याप्त रुढ़ियां टूटने का नाम नहीं ले रही हैं। ऐसे ही एक मामले में एक समाज की युवती ने नौकरी के लिए आवेदन किया तो महिलाओं को नौकरी न कराने का दंभ करने वाले समाज ने पंचायत कर युवती के परिजनों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया। छत्तीसगढ़ में बात बात पर विभिन्ना समुदायों में सामाजिक बहिष्कार करने की परंपरा पर रोक लगाने के लिए समाज बहिष्कार (रोकथाम) निवारण अधिनियम लागू तो किया गया है, लेकिन संबंधित अधिकारियों की लापरवाही से इस तरह के मामले थम नहीं रहे।

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यह मामला धमतरी जिले के एक गांव का है। कलेक्टर व मानवाधिकार आयोग से की गई शिकायत के अनुसार देवांगन समाज की युवती के सरकारी नौकरी के लिए आवेदन करने पर उसके परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया गया है। सामाजिक बहिष्कार के सबसे ज्यादा मामले धमतरी जिले से ही सामने आ रहे हैं। वर्ष 2017 में राज्य मानवाधिकार आयोग में सामाजिक बहिष्कार के कुल 40 प्रकरण दर्ज किए गए थे। 2018 में अब तक 25 मामले सामने आ चुके हैं। 15 मामलों में आयोग ने ग्रामीणों और पीड़ित परिवारों में समझौता करा दिया है।

ऐसे भी मामले

गुंडरदेही भाठागांव निवासी निषाद समाज के दो लोगों ने ईसाई धर्म अपना लिया। इससे समाज ने उन्हें अछूत घोषित कर दिया। मामले ने तूल पकड़ा और मानवाधिकार आयोग तक बात पहुंची। आयोग की पहल पर समझौता हो पाया।

सात साल की सजा व पांच लाख जुर्माना का प्रावधान

सामाजिक बहिष्कार पर राज्य सरकार ने सख्त कानून बनाया है। इसे जघन्य अपराध माना गया है। सामाजिक बहिष्कार पर दोषियों को सात साल की सजा और पांच लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है। इस कानून के तहत साल भर में किसी को सजा नहीं हो पाई। छत्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग के संयुक्त सचिव दिलीप भट्ट ने बताया कि अधिकांश मामलों में सुलह समझौते से मामला निपटाया जा रहा है।


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