चीन ने पहले भी LAC पर शांति को लेकर किए हैं समझौते, लेकिन हर बार किया है विश्वासघात
सीमा पर शांति के नाम पर चीन ने पहले भी कई बार भारत से समझौता किया है लेकिन उसने कभी इन समझौतों का आदर नहीं किया।
नई दिल्ली (ऑनलाइन डेस्क)। भारत के लद्दाख से लगती चीन की सीमा पर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की करतूतों की वजह से जून 2020 से ही तनाव कायम है। इस तनाव को कम करने की कोशिश के मद्देनजर कुछ दिन पहले ही चीन के कहने पर मंत्री राजनाथ सिंह ने मॉस्को में अपने समकक्ष मंत्री से मुलाकात की थी। इस दौरान राजनाथ ने दो टूक शब्दों में चीन को न सिर्फ करारा जवाब दिया था, बल्कि ये भी चेता दिया था कि सीमा की रक्षा के लिए भारतीय सेना किसी भी हद तक जा सकती है। इसके बाद शुक्रवार को मास्को में ही भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच करीब ढाई घंटे तक द्विपक्षीय वार्ता हुई।
इस वार्ता के बाद दोनों देशों के मंत्रियों द्वारा एक साझा बयान भी दिया गया जिसमें शांति के विश्वास बहाली के उपायों को मजबूत करने की बात कही गई। ये बैठक मॉस्को में शंघाई सहयोग संगठन के इतर हुई थी। इस दौरान पांच सूत्रीय समझौते पर भी दोनों देशों की तरफ से हस्ताक्षर किए गए हैं। हालांकि, इस समझौते पर चीन कितना खरा उतरेगा उस पर सवालिया निशान जरूर लगा है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि सीमा पर शांति के लिए चीन ने इस तरह के समझौते पर पहली बार दस्तखत नहीं किए हैं, लेकिन उसकी कथनी और करनी में हमेशा से ही अंतर रहा है।
1993 में इसी तरह से एलएसी पर शांति और स्थिरता कायम रखने के लिए चीन और भारत में समझौता हुआ था। इसमें साफ कहा गया था कि यदि किसी देश की सेना के जवान एलएसी को पार करते हैं तो दूसरे देश की सेना के जवानों द्वारा उन्हें आगाह किए जाने पर वो शांतिपूर्वक वापस अपने क्षेत्र में चले जाएंगे। चीन ने इस समझौते का हर बार उल्लंघन किया और बार-बार सीमा पर अतिक्रमण करने की कोशिश की। इसके बाद फिर 1996 में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे सीमा पर सैन्य क्षेत्र में आत्मविश्वास-निर्माण के उपायों को लेकर फिर समझौता हुआ। लेकिन इसपर भी चीन कभी खरा नहीं उतरा और उसकी छल से सीमा में अतिक्रमण की कोशिशें होती रहीं और सीमा पर तनाव बना रहा। इसके बाद वर्ष 2005, 2012 में चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर बातचीत बढ़ाने और विश्वास निर्माण के उपायों को लेकर समझौते हुए। वर्ष 2013 में सीमा पर तनाव कम करने को लेकर एक बार फिर से दोनों देशों के बीच समझौता हुआ, जिसमें भी विश्वास बहाली के उपाय करने की बात कही गई थी। भारत ने समझौते की सभी शर्तों का बखूबी पालन किया, लेकिन चीन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आया और हर बार समझौते का उल्लंघन किया।
गौरतलब है कि 15-16 जून की रात सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के जवानों के बीच हिंसक झड़प हुई थी जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि 40 के करीब जवान चीन के भी शहीद हुए थे। हालांकि, चीन ने कभी इसका खुलासा नहीं किया। इसके बाद हाल ही में रेजाग ला में चीन की करतूत सामने आई थी, जहां पर चीनी सैनिकों ने भारतीय जवानों को धमकाने और डराने के लिए हवा में फायर किया था। ये घटना इसलिए बेहद खास थी, क्योंकि चीन की सीमा पर 1975 के बाद कभी कोई गोली नहीं चली है। इस घटना ने दोनों देशों के बीच तनाव को और भड़काने का काम किया था।
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