MSME की ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत लगाए जाएंगे गांव-गांव में लघु उद्योग
एमएसएमई मंत्रलय के मुताबिक भारत में अगरबत्ती मधुमक्खी पालन और मिट्टी के बर्तन निर्माण से होगी शुरुआत एमएसएमई की ग्रामोद्योग विकास योजना के तहत लगाए जाएंगे उद्योग ग्रामीणों को सरकार प्रशिक्षण के साथ ही देगी आर्थिक मदद। भारत सालाना एक लाख टन मधु का उत्पादन करता है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए सरकार कृषि क्षेत्र के विकास के साथ ही गांव-गांव में उद्योगों को बढ़ावा देने में जुट गई है। इसके लिए ग्रामोद्योग विकास योजना (जीवीवाइ) के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (एमएसएमई) मंत्रलय की तरफ से गांवों में अगरबत्ती निर्माण, मधुमक्खी पालन और मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए नई योजना की शुरुआत की गई है। प्रशिक्षण के बाद ग्रामीणों को उद्योग लगाने के लिए आíथक मदद भी दी जाएगी। सरकार का उद्देश्य तीनों ही क्षेत्रों में एक-दो साल के बाद क्लस्टर आधारित उत्पादन शुरू करने की है।
एमएसएमई मंत्रलय के मुताबिक, भारत में अगरबत्ती का कारोबार 7,500 करोड़ रुपये का है जिसमें 750 करोड़ रुपये का निर्यात भी शामिल है। इस कारोबार से पांच लाख से ज्यादा लोग जुड़े हैं। वैसे ही, ब्रिटेन, जर्मनी, स्पेन, अमेरिका, जापान, फ्रांस और इटली जैसे देशों में भारतीय मधु (शहद) की मांग लगातार बढ़ रही है। भारत सालाना एक लाख टन मधु का उत्पादन करता है।
नरेंद्र मोदी सरकार मिट्टी के बर्तन का ग्रामीण उद्योग विकसित करना चाहती है। साथ ही इसकी मार्केटिंग के लिए शहरों में पॉटरी फेयर जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।एमएसएमई मंत्रलय के मुताबिक अभी विभिन्न राज्यों के ग्रामीण इलाकों में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर अगरबत्ती निर्माण, मधुमक्खी पालन और मिट्टी के बर्तन निर्माण के लिए प्रशिक्षण का काम शुरू किया गया है। खादी ग्रामोद्योग की देखरेख में स्कीम पर अमल किया जा रहा है। 18 से 55 साल का कोई भी व्यक्ति इन उद्योगों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हो सकता है।
मंत्रलय का कहना है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल भारत के साथ विश्व के 90 देशों में किया जाता है। इसलिए अगरबत्ती के ग्रामीण उद्योग के लिए अभी बिहार, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक जैसे राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो रहा है। अगरबत्ती की खरीदारी व मार्केटिंग की जिम्मेदारी खादी ग्रामोद्योग की होगी। स्थान बदल-बदल कर पायलट प्रोजेक्ट चलाने का काम होगा। मधुमक्खी पालन को लेकर खादी ग्रामोद्योग की तरफ से पहले से पायलट प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं, लेकिन अब उसे और विस्तार दिया जा रहा है। इसके तहत भी पहले लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा, फिर उन्हें मधुमक्खी पालन के लिए बॉक्स दिए जाएंगे। एक ही आदमी बार-बार प्रोजेक्ट में शामिल नहीं हो सकता है।
मधु के साथ वैक्स निकालने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। मंत्रलय का मानना है कि उद्योग का रूप नहीं मिलने की वजह से मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कारीगरों की मासिक आय 3,500 रुपये तक ही है। अब इस स्कीम के जरिये उन्हें शहरी मांग के मुताबिक डिनर सेट और अन्य बर्तन बनाने का प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि वह कम से कम 15,000 रुपये प्रतिमाह तक कमा सकें और उनकी जीवनस्तर सुधर सके।